इंदौर। हिंदू धर्म के कई ग्रंथ व्यक्ति को जीवन में आने वाली समस्याओं से लड़ने की ताकत देते हैं। वह बताते हैं कि आप कैसे इन समस्याओं पर विजय पा सकेंगे। भगवत गीता में भगवान श्री कृष्ण कृष्ण ने उपदेश देकर जीवन के कई विषयों पर अपनी राय दी है।
भगवान श्री कृष्ण ने भगवत गीता में बताया है कि आपको जीवन की सफल होने के लिए क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए। भगवान ने बताया है कि क्या करने से आप पाप के भागीदार बनेंगे। ज्योतिषाचार्य राधाकांत वत्स ने विस्तार से बताया कि कौन से काम महापाप के समान हैं।
कौन से कामों को करने से लगता है पाप
हिंसा
भगवत गीता में हिंसा को महापाप माना गया है। अगर आप किसी भी व्यक्ति या जानवर के साथ हिंसा करते हैं। उसे नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं या उसकी हत्या तक कर दते हैं। यह सभी महापाप है।
चोरी
भगवान ने चोरी को भी महापाप की श्रेणी में रखा है। केवल धन की ही चोरी महापाप नहीं है, अगर आप किसी सफल व्यक्ति के साथ छल कर उसकी सफलता को चुरा लेते हैं, तो यह भी महापाप ही है।
वासना
आप किसी पुरुष या स्त्री को उसके मन के खिलाफ जाकर जबरन वासना करते हैं, तो यह भी महापाप की श्रेणी में आता है।
लालच
आपके अंदर लालच है, तो वह भी महापाप में आता है। यह लालत वस्तु का, धन का, खाने-पीने का किसी का भी हो सकता है।
ईर्ष्या
ईर्ष्या करना भी भगवान श्री कृष्ण ने महापाप में शामिल किया है। ईर्ष्या किसी को भी एक सामान्य इंसानी भाव लगता है, लेकिन इसकी वजह से कई बार व्यक्ति गलत मार्ग को अपना लेता है।
अहंकार
अंहकार भी महापाप की श्रेणी में आता है। यह आपको गलत काम करने के लिए प्रेरित कर सकता है।
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