मप्र हाइकोर्ट के निर्देश, सिविल जज भर्ती परीक्षा में एटीकेटी को भी शामिल करें

जबलपुर । हाई कोर्ट ने ओबीसी वर्ग की एक अभ्यर्थी को एलएलबी में एटीकेटी मिलने पर भी सिविल जज परीक्षा में शामिल होने की अंतरिम अनुमति प्रदान की। मुख्य न्यायाधीश रवि मलिमठ व न्यायमूर्ति विशाल मिश्रा की युगलपीठ ने राज्य शासन और हाई कोर्ट प्रशासन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

जबलपुर निवासी शिवानी सोनकर, दिव्या सोनकर व नरसिंहपुर निवासी वर्षा पटेल द्वारा सयुंक्त रूप से याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने पक्ष रखा। उन्होंने राज्य न्यायिक सेवा नियम 1994 के संशोधित नियम के उपबंध की संवैधानिकता को चुनौती दी।

दरअसल, नियम के अनुसार सिविल जज परीक्षा, 2022 में पात्रता के लिए सामान्य वर्ग के अभ्यर्थी को एलएलबी में 70 प्रतिशत एग्रीगेट और आरक्षित वर्ग के अभ्यर्थी को 50 प्रतिशत एग्रीगेट आवश्यक है। इसी के साथ सभी विषयों को एक ही अटेम्प्ट में उत्तीर्ण करना भी अनिवार्य है। चूंकि प्रथम दो याचिकाकर्ताओं ने सभी विषय एक अटेम्प्ट में उत्तीर्ण नहीं किए हैं, इसलिए उन्हें राहत नहीं दी जा सकती।

वहीं वर्षा की ओर से दलील दी गई कि पहले उसने बरकतुल्ला विवि से एलएलबी प्रथम वर्ष उत्तीर्ण की। बाद में उसने देवी अहिल्या बाई विश्वविद्यालय, इंदौर से द्वितीय व तृतीय वर्ष की परीक्षा उत्तीर्ण की। विश्वविद्यालय बदलने के कारण उसे पांच अतिरिक्त विषय की परीक्षा देनी पड़ी, जिस कारण एटीकेटी आई थी।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.