MP Election Result 2023: मप्र में महिला, किसान और आदिवासी वोटों से तय होगी जीत की दिशा

(भोपाल)। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के मतदान (17 नवंबर) के 15 दिन बाद परिणाम की प्रतीक्षा रविवार को खत्म हो रही है। चुनाव में भाजपा और कांग्रेस के बीच टक्कर कांटे की रही है। भाजपा ने जहां पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ा तो कांग्रेस ने कमल नाथ के साथ 11 गारंटियों पर जनता का आशीर्वाद मांगा है। प्रदेश में इस बार 77.15 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का उपयोग किया है।

चुनाव में इस बार महिला, किसान और आदिवासी मतदाता ही जीत की दिशा तय करेंगे। दरअसल, मध्य प्रदेश में 2,71,99,586 महिला मतदाता हैं। इनमें एक करोड़ 31 लाख लाड़ली बहना योजना की हितग्राही भी हैं। इन महिलाओं को भाजपा सरकार 1,250 रुपये की राशि प्रति महीने दे रही है। भाजपा इसे गेम चेंजर मान रही है।

इधर, कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना लागू करके महिलाओं को डेढ़ हजार रुपये प्रतिमाह देने और 500 रुपये में रसोई गैस सिलेंडर देने की गारंटी दी है। सस्ती बिजली देने का वादा भी किया है। स्पष्ट है कि इन वादों की बाढ़ में महिलाओं का रुझान जिस दल के साथ जाएगा, वही सरकार बनाएगा।

1.11 करोड़ किसान भी महत्वपूर्ण प्रदेश में 1.11 करोड़ खातेदार किसान हैं। करीब 80 लाख किसानों को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में आर्थिक सहायता दी जा रही है। 11.67 लाख किसानों को ब्याज माफी भाजपा सरकार ने दी। गेहूं और धान के समर्थन मूल्य पर बोनस देने की घोषणा की गई। मतदान से दो दिन पहले इन किसानों के खाते में दो-दो हजार रुपये की सम्मान निधि भी आई है।

कांग्रेस ने कर्ज माफी, बिजली के बकाया बिल की माफी, पांच हार्सपावर के कृषि पंप पर निश्शुल्क बिजली जैसे वादे कर किसानों को साधने का प्रयास किया है। चुनाव परिणाम के साथ ही तय हो जाएगा कि किसानों का भरोसा किसके साथ है। 47 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों में से 47 सीटें आदिवासियों के लिए सुरक्षित हैं। वर्ष 2018 के चुनाव में भाजपा को इन सीटों पर काफी नुकसान उठाना पड़ा था।

कांग्रेस ने 30 सीटें जीतीं थीं। जबकि, भाजपा 16 पर सिमट गई थी। आदिवासी मतदाताओं को साधने में भाजपा ने कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। इसी वर्ग की द्रौपदी मुर्मु को राष्ट्रपति बनाने से लेकर बिरसा मुंडा के जन्मदिवस को गौरव दिवस बनाने के निर्णय कर भाजपा ने आदिवासी वर्ग को साधने का प्रयास किया।

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