Indore City Bus Pass: पास को राशन कार्ड बताकर ड्राइवर और कंडक्टर नहीं रोकते सिटी बसें

इंदौर। बस मत रोकना, ये राशन कार्ड वाले हैं। अरे यार ये अलग नहीं मानते, जाने दो-जाने दो… यह वार्तालाप प्रतिदिन सिटी बस में चालक-परिचालक के बीच होता है, जब इन्हें सड़क पर मासिक पास धारक विद्यार्थी दिखाई पड़ते हैं। एक तरफ एआइसीटीएसएल सुविधा के लिए विद्यार्थियों, बुजुर्गों और दिव्यांगों को सिटी बस में 75 प्रतिशत की छूट दे रही है, दूसरी ओर सिटी बस के कर्मचारी पास को राशन कार्ड बताकर यात्रियों का मखौल उड़ा रहे हैं।

एक दौर था जब इंदौर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली यानी सिटी बसों को राष्ट्रीय स्तर पर अवार्ड मिला था। यह अवार्ड श्रेष्ठ शहरी परिवहन प्रणाली के लिए दिया गया था, किंतु अब यही श्रेष्ठता निकृष्टता में बदल रही है।

इंदौर में अटल इंदौर सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिलेड (एआइसीटीएसएल) की करीब 400 बसें हैं। इनमें 40 इलेक्ट्रिक, 49 आइ-बस और बाकी की सिटी बसें शामिल हैं। सिटी बसें शहर में 44 रूटों पर संचालित होती हैं। एआइसीटीएसएल के मुताबिक हर सार्वजनिक परिवहन से तीन लाख से ज्यादा लोग सफर करते हैं। इनमें से 50-55 प्रतिशत तक विद्यार्थियों की संख्या होती है।

विद्यार्थी कोचिंग, स्कूल और कालेजों में रोजाना रूप से जाते हैं। इसके लिए यह मासिक पास बनवा लेते हैं। इससे इनका सफर आरामदायक हो जाता है। विद्यार्थियों की यह शिकायत रहती है कि रोज आने-जाने के कारण बस चालक और कंडक्टर पहचान जाते हैं। हम लोग सड़क के किनारे खड़े होते हैं तो सिटी बस नहीं रुकती है। बस के अंदर होते हैं, तब कई बार चालक और कंडक्टर पास को राशन कार्ड कहकर मजाक उड़ाते हैं।

सबसे ज्यादा सिटी बसें आर- 5 रूट पर

शहर में 44 रूटों पर सिटी बसें चलती हैं। इसमें से सबसे ज्यादा 32 बसें आर-5 रूट पर अरबिंदो अस्पताल से महू नाका तक चलती हैं। दूसरे नंबर पर एम-27 रूट पर देवास नाका से सिरपुर तालाब तक 26 बसें चलती हैं। तीसरे नंबर पर एम-6 रूट पर तेजाजी नगर से राजवाड़ा तक 20 बसें चलती हैं।

भंवरकुआं और गीताभवन चौराहे पर सबसे ज्यादा समस्या

भंवरकुआं और गीताभवन चौराहे पर सर्वाधिक कोचिंग सेंटर होने के चलते यहां पूरे शहर से विद्यार्थी जमा होते हैं। सुबह से शाम तक विद्यार्थी आवागमन करते हैं। इन दोनों जगहों पर विद्यार्थी ही सवारी के रूप में मिलते हैं। भंवरकुआं में यूपीएससी, एसएससी समेत कई प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी होती है। वहीं गीताभवन चौराहे पर आइआइटी और नीट की कोचिंग सर्वाधिक हैं। यहां से हर रोज हजारों बच्चे सिटी बसों में सफर करते हैं।

क्या बोले जिम्मेदार

सिटी बस के चालक और परिचालक आपरेटर कंपनी के अंतर्गत आते हैं। चालक-परिचालकों के लिए महीने में एक-दो बार लोक व्यवहार का प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण में मोटिवेशनल स्पीकर जमीनी स्तर पर लोगों से व्यवहार करना सिखाते हैं। पास को राशन कार्ड कहने के मामले में संज्ञान लिया जाएगा। दोषी पाए जाने पर उचित कार्रवाई की जाएगी। – मनोज पाठक
सीइओ, एआइसीटीएसएल

क्या है मासिक पास की सुविधा

मासिक पास का शुल्क 800 रुपये है। महापौर पास योजना के अंतर्गत दिव्यांग, बुजुर्ग और विद्यार्थियों के लिए इसमें 75 प्रतिशत की छूट मिलती है। इससे इन्हें यह पास मात्र 200 रुपये में पड़ जाता है। बाकी के 600 रुपये एआइसीटीएसएल वहन करती है।

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