24 घंटे में इंदौर में ढाई इंच पानी बरसा, पांच डिग्री लुढ़का दिन का पारा, ठिठुरन बढ़ी

इंदौर। पश्चिमी विक्षोभ-चक्रवाती घेरा बनने के साथ दो अन्य मौसमी सिस्टम सक्रिय हैं। इससे पूरे प्रदेश का मौसम बदल गया है। इंदौर में रुक-रुककर हो रही बेमौसम बारिश सोमवार को लगातार दूसरे दिन भी जारी रही, जिससे कंपकंपी छूट गई। इंदौर में 24 घंटे में करीब ढाई इंच बारिश हुई। इससे पारा भी पांच डिग्री तक लुढ़क गया, जिससे ठिठुरन बढ़ गई।

इंदौर में रविवार शाम चार बजे से पानी बरसना शुरू हुआ, जो सोमवार को सुबह साढ़े दस तक गिरता रहा। दोपहर तीन से साढ़े चार बजे भी शहर के कई इलाकों में हल्की वर्षा हुई। एयरपोर्ट स्थित मौसम केंद्र में 52.6 मिमी बारिश दर्ज की गई। वहीं रीगल क्षेत्र में 64 मिमी यानी करीब ढाई इंच बारिश रिकार्ड की गई। यह दस वर्षों में नवंबर में सर्वाधिक मासिक बारिश हुई है। वैसे अब तक 24 घंटे के भीतर यह सर्वाधिक बारिश रही। दिन के तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस की गिरावट आई। रात का तापमान भी सीजन में पहली बार 15 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला गया, जो शनिवार रात के तापमान से चार डिग्री सेल्सियस कम था। सर्द हवा चलने से पारा लुढ़क गया।

मंगलवार को भी रहेगा ऐसा ही मौसम

क्षेत्रीय मौसम विभाग के अधिकारियों के अनुसार, मंगलवार को इसी तरह की मौसम रहेगा। बरसात की गतिविधियां कुछ दिनों के लिए कम रहेगी, लेकिन 30 नवंबर के बाद फिर से वापस आ जाएगी, क्योंकि 30 नवंबर तक एक नया पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय क्षेत्र को प्रभावित करेगा। मौसम विभाग के मुताबिक, ईरान-अफगानिस्तान में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ अब पूर्वी दिशा में बढ़ने लगा। अरब सागर के ऊपर बने चक्रवाती घेरा थोड़ा कमजोर होने लगा है। इसका असर अब प्रदेश के मध्य हिस्से में रहेगा।

रात का तापमान भी 15 डिग्री के नीचे आया

बीते चौबीस घंटे के भीतर दिन के तापमान में पांच डिग्री सेल्सियस का अंतर रहा। सोमवार को अधिकतम तापमान 20 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से नौ डिग्री कम था। न्यूनतम तापमान 14.6 डिग्री सेल्सियस रहा। यह सीजन में रात का सबसे कम तापमान था। नवंबर में पहली बार पंद्रह डिग्री के नीचे पारा पहुंचा। दिनभर बादल छाए रहने से दृश्यता महज दो हजार मीटर रह गई। मौसम विशेषज्ञ वेदप्रकाश सिंह के मुताबिक, मंगलवार को भी इंदौर और आसपास के इलाकों में गरज-चमक के साथ हल्की वर्षा होने का अनुमान है। अगले दो दिन में पश्चिमी विक्षोभ और चक्रवाती घेरा कमजोर होगा।

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