ग्वालियर। विधानसभा चुनाव के दूसरे दिन से ही कांग्रेस में नियुक्तियों व हटाने का खेल शुरू हो गया। पिछले दस दिन में चार नेताओं को प्रदेश महासचिव नियुक्त पद पर नियुक्त किया है। हालांकि ग्रामीण जिला अध्यक्ष पद से प्रभुदयाल जौहरे को पद मुक्त किए जाने के बाद हुए विरोध के बाद प्रदेश नेतृत्व को पीछे हटना पड़ा।
नियुक्ति में चुनाव नतीजों का इंतजार नहीं
प्रदेश नेतृत्व ने समर्थकों को नियुक्ति करने में चुनाव के नतीजों का भी इंतजार नहीं किया। इस संबंध में कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि चुनाव के नतीजे अपने स्थान पर है। संगठन के कार्यों का गति देने का कार्य अलग है। माना जा रहा है कि यह नियुक्तियां चुनाव से पहले किए वादों को पूरा करने के लिए की गईं हैं। चुनाव में एडजस्ट करने का वादा किया था। टिकट को लेकर समूचे प्रदेश में विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए थे। टिकट नहीं मिलने से नाराज नेताओं को शांत करने के लिए वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें एडजस्ट करने का वादा किया था।
संगठन में एडजस्ट किया जा रहा
हालांकि कुछ की नियुक्ति तत्काल हो गई थी। कुछ की चुनाव के बाद की गई है। इन लोगों को पहले संगठन में एडजस्ट किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात है कि प्रदेश स्तर के पद रेबड़ियों की तरह बांटे जाने से कांग्रेसी नाराज हैं। इस तरह पद बांटने से इनका महत्व भी कम होता है। वे दबी जुबान आरोप लगाते हैं कि कांग्रेस की संस्कृति में कार्यकर्ता के कार्य की बजाय अपने नेता का विश्वास जीतने पर बड़े से बड़ा पद आसानी से मिल जाता है।
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