जबलपुर। दमोह जिले में पिछले वर्ष मार्च में हुई एक हत्या में नामजद एक आरोपित को हाई कोर्ट ने इस आधार पर जमानत दे दी, क्योंकि प्रत्यक्षदर्शी ने मौका-ए-वारदात पर उसको न देखे जाने का बयान दिया है। हालांकि हाई कोर्ट ने यह शर्त लगाई है कि ट्रायल कोर्ट द्वारा तलब किए जाने पर आवेदक अपनी हाजिरी सुनिश्चित कराता रहेगा।
न्यायमूर्ति डीके पालीवाल की एकलपीठ के समक्ष मामले की सुनवाई हुई। इस दौरान आवेदक दमोह निवासी शकील खान की ओर से अधिवक्ता शुभम भारद्वाज ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि दमोह कोतवाली थाना पुलिस ने आवेदक को अमीन खान उर्फ गोलू हत्याकांड में इशाक तिगड़ा व इमरान खान के साथ आरोपित बनाया है।
ये है पूरा मामला
दरअसल, 12 मार्च 2022 को दमोह सब्जी मंडी, सागर नाला के पठानी मोहल्ला में अमीन खान उर्फ गोलू पर हमला हुआ था, जिसमें बुरी तरह घायल होने से उसकी मौत हो गई। आवेदक शकील खान का कहना है कि इस हमले में वह शामिल नहीं था। न ही उसका कोई पुराना आपराधिक रिकार्ड है। खुद मृतक अमीन खान उर्फ गोलू की बहन ने पुलिस को दिए अपने बयान में इस बात की तस्दीक की है कि उसने घटनास्थल पर शकील को नहीं देखा था। इसके बावजूद वह एक वर्ष आठ माह से जेल मे बंद है।
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