शाजापुर। कार्तिक माह की दशमी पर शाजापुर में कंस वधोत्सव का आयोजन होता है। दशमी के मौके पर आज होने वाले कंस वधोत्सव की तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। 270 वर्षों से शहर में अनूठी परंपरा निभाई जा रही है।
यह कार्यक्रम श्रीकृष्ण जन्मस्थान मथुरा के अलावा शाजापुर में ही होता है। इस आयोजन में कंस और कृष्ण की सेना आपस में जमकर वाक् युद्ध करती हैं। इसके बाद श्री कृष्ण द्वारा कंस का वध किया जाता है। घमंड व अत्याचार के प्रतीक कंस मामा का 10 फीट ऊंचा पुतला भी सिंहासन पर विराजित हो चुका है।
कंस चौराहा स्थित दरबार में बैठाए गए कंस के पुतले का वध दशमी के दिन किया जाता है। कंस वधोत्सव समिति द्वारा शाजापुर में भी मथुरा में श्रीकृष्ण के मामा कंस के वध उत्सव की परंपरा का निर्वहन प्राचीन समय से किया जाता रहा है।
देव और दानव मिलकर 15 से 20 कलाकार रहेंग
कंस वधोत्सव समिति के संयोजक तुलसीराम भावसार ने बताया कि मथुरा के बाद नगर में इस आयोजन को भव्य तरीके से मनाया जाता है। इस आयोजन के लिए शहर ही नहीं बल्कि आसपास के जिलों के लोग भी इसमें शामिल होते हैं।
कंस वध की परंपरा अन्याय व अत्याचार पर जीत के प्रतीक के रूप में मनाई जाती है। इस भव्य आयोजन में देव और दानव मिलकर 15 से 20 कलाकार रहेंगे। शहर की गलियों से कंस वध से पहले पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे देव और दानवों की टोलियां निकलती है।
राक्षस हुंकार भरते है तो वहीं देवों की टोली भी वाकयुद्ध में पीछे नहीं रहती है। ऋषभ भट्ट भगवान श्री कृष्ण तो राजकुमार पांडे बलराम का अभिनय करेंगे। ऋषिकेश भट्ट सहित अन्य कलाकार सुदामा सहित अन्य बाल सखा बनेंगे।
नीलेश व्यास, महेंद्र पवांर,राजेश जकड़ी, सुनील मालवीय, नवीन वशिष्ट सहित अन्य लोग दानव का अभिनय करेंगे। अजय उदासी प्रवक्ता, संजय शर्मा और रिंकु तिवारी चल समारोह प्रमुख रहेंगे।
पुतले को लाठियों से पीटते हैं
तुलसीराम भावसार ने बताया कि गोवर्धन नाथ मंदिर के मुखिया स्व. मोतीराम मेहता ने करीब 270 वर्ष पूर्व मथुरा में कंस वधोत्सव कार्यक्रम होते देखा और फिर शाजापुर में वैष्णवजन को अनूठे आयोजन के बारे में बताया। इसके बाद से ही परंपरा की शुरुआत हो गई।
मंदिर में ही 100 वर्ष तक आयोजन होता रहा किंतु वहां पर जगह की कमी के चलते फिर इसे नगर के चौराहे पर किया जाने लगा। कंस वध के पूर्व रात आठ बजकर 30 मिनिट पर श्री बालवीर हनुमान मंदिर परिसर से चल समारोह शुरू होगा।
इसके बाद कंस चौराहे होते हुए मगरिया चौराहे, बस स्टैंड के बाद गवली मोहल्ले में 30 मिनिट का संवाद के बाद शोभा यात्रा आजाद चौक पहुंचेगी जहां पर 45 मिनिट का संवाद होगा।
यात्रा मुख्य मार्गों से होता हुआ कंस चौराहे पर पहुंचेगा जहां 30 मिनिट संवाद के बाद गवली समाज लोगों का सम्मान किया जाएगा। वाकयुद्ध के बाद रात 12 बजे श्रीकृष्ण बने कलाकारों द्वारा कंस का वध किया जाएगा। इसके बाद गवली समाज के युवाओं द्वारा पुतले को लाठियों से पीटते हुए ले जाया जाएगा।
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