सीएसपी साहब का रिटायरमेंट प्लान

जबलपुर। हाइवे वाले एक सीएसपी साहब रिटायरमेंट प्लान बना रहे हैं। क्रेशर का काम करने वाले एक पूर्व पार्षद के साथ पार्टनर बनकर भविष्य के उज्ज्वल सपने देख रहे हैं। कई बार तो क्रेशर प्लांट घूम चुके हैं। चुनावी मौसम में स्थिति भांपते हुए पूर्व मंत्री के खास बन बैठे और पूर्व पार्षद की व्यावसायिक दक्षता के कायल हो गए। अब खुद ही क्रेशर प्लांट लगाने के जुगाड़ में लग गए हैं। कार्यालय के जवान बताते हैं कि साहब की छवि अच्छी है, परंतु व्यापार में सब चलता है। व्यापार के लिए धन भी चाहिए। रेत माफिया अच्छा स्रोत हो सकते हैं। जिनके कान मरोड़ने का काम जारी है। साहब सीधा-सीधा चलते हैं। उनका मानना है कि नौकरी अपनी जगह, व्यापार अपनी जगह। इसलिए नौकरी में रहते व्यापार का खाका खींच रहे हैं। यही नहीं, इतने अच्छे हैं कि भले ही अब साहब बन गए, लेकिन मन से थानेदारी नहीं गई।

एक बंगला बना न्यारा

जबलपुर संभाग के एक जिले के मझोले कप्तान ने दीवाली पर ‘कप्तान’ की तर्ज पर अपने बंगले में स्वल्पाहार की विशेष व्यवस्था की। एक दिन पहले तमाम अधीनस्थों को बंगले पर मेल मुलाकात के लिए आमंत्रित भी किया। मोबाइल पर मैसेज भेजा जिससे अधीनस्था अचंभे में पड़े। एक अधिकारी ने ठहाका लगाते हुए कहा कि मैसेज यानि गिफ्ट न भूल जाना। बहरहाल दीवाली मिलने पहुंचे अधिकारियों को साहब ने बंगले की सुंदर बगिया का भ्रमण कराया। गार्डन प्रेम में अपनी मेहनत का बखान किया। बोले पहले तो बंगले में गाय और मुर्गा-मुर्गी पलते थे। मेरे आने से ये हरा भरा हुआ है। इसका मतलब क्या हुआ अधिकारी-कर्मचारी समझ रहे थे, जिसके बाद मंद-मंद मुस्कान बिखेरी। शहर के थाना प्रभारियों ने चुटकी ली, कहा कि साहब का बंगला भी साहब के जैसे चमक रहा है। काश विभाग को भी ऐसे ही चमकते। कितना अच्छा होता कि स्पा भी न जाते।

सटोरियाें काे रास आया यह जिला

एक समय था जब जुआरियों व सटोरियों ने जबलपुर में जड़ें जमा ली थीं। पुलिस ने उनका नेटवर्क ध्वस्त करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जिसके बाद जुआरियों, सटोरियों ने हाइवे वाले पड़ोसी जिले में डेरा डाल दिया। खिलाड़ी जब मैदान में पसीना बहाते तब एसी कमरों में बैठे सटोरिए एक-एक गेंद पर दांव लगवा रहे थे। शहर के मध्य में यह सब हो रहा था परंतु मजाल है कोई खाकी वाला उधर झांक ले। पांच थाने और चौकियां, शहर में हैं। तमाम अधिकारियों के बंगल शहर में हैं, परंतु दांव पर दांव लगते रहे। पुलिस के पास खुद की प्रशिक्षित साइबर टीम है। परंतु एक भी बड़ा सटोरिया नहीं पकड़ा जा सका। अब तो जवान भी दबी जुबान बड़े-बड़े इशारे कर रहे हैं। शहर के कुम्हार मोहल्ला में शराब व सट्टा पर्ची का खुल्लम खुल्ला काम चल रहा है। अवैध खनन की बात ही अलग है। छह की जगह 46 खदानों से रेत निकाली जा रही है। बड़े साहब मेहरबान तो गधा भी पहलवान।

व्यापार का एक तरीका यह भी

फास्ट फूड, जंक फूड बेचने वाले एक व्यापारी ने व्यापार का तरीका ढूंढ निकाला है। ऐसा नहीं है कि वह कोई बड़ा आफर ग्राहकों को दे रहा है। उसने तो सिर्फ इतना किया कि सड़क पर कुछ कुत्ते छोड़ दिए हैं। उसकी दुकान सड़क के ऐसे घुमाव पर है कि वाहन चालक तेजी से आगे बढ़ जाते हैं। कुत्तों का काम सिर्फ इतना है कि दो पहिया वाहन चालकों पर झपट्टा मारना। प्रशिक्षित कुत्ते चार पहिया वाहनों के पीछे भी दौड़ लगा देते हैं। कुत्तों के डर से तमाम लोग वाहन की रफ्तार कम कर देते हैं। कुछ हादसे की चपेट में आ जाते हैं। कुत्तों का क्या, उन्हें भौंकने, खदेड़ने, काटने के बदले मुफ्त में नानवेज मिल जाता है। सड़क पर पड़े-पड़े उनका पेट पल रहा है। व्यापारी तो कुत्तों की चपेट में आए लोगों को सहारा देने के बहाने भी पिज्जा, बर्गर बेच लेता है। सिविल लाइन क्षेत्र की इस दुकान के आसपास एक बड़े गेट के सामने सेना के जवान तैनात रहते हैं।

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