उमरिया। देश में सबसे ज्यादा 165 बाघों वाले मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में सफारी की बुकिंग पर पूरी तरह से रिसोर्ट और होटल संचालकों ने अपना जाल बिछा रखा है। कालाबाजारी के लिए वे हर वो हथकड़ा अपनाए हुए हैं, जिससे पर्यटकों को सफारी के लिए उनको मनमाने धनराशि देनी ही पड़ती है, वरना बाघों का दीदार करना संभव नहीं हो पाता।
मध्य प्रदेश टाइगर रिजर्व की वेबसाइट पर सफारी के लिए आनलाइन बुकिंग की जाती है, जिसमें पर्यटकों से पार्क के भीतर जाने तथा जंगल की सैर कराने वाले वाहन (जिप्सी) के 2450 रुपये लिए जाते हैं। रविवार अथवा किसी त्योहार में पड़ने वाले प्रीमियम डे पर यह शुल्क बढ़कर 3050 रुपये हो जाता है।
ऐसे में, कालाबाजारी के लिए रिसोर्ट और होटल के संचालक अपने यहां काम करने वाले कर्मचारियों के नाम से बुकिंग करा लेते हैं। इसके बाद वे बुकिंग फुल होने जाने से निराश पर्यटकों से अपने नेटवर्क के माध्यम से संपर्क करते हैं, फिर मनमानी धनराशि लेकर उन्हें पार्क में प्रवेश कराते हैं।
इसके लिए आनलाइन बुकिंग प्रक्रिया में तय एक प्रावधान भी उनकी मदद कर रहा है, जिसमें पुराने नाम की बुकिंग निरस्त कर नए नाम जोड़ने की व्यवस्था है। इस प्रक्रिया में रिसोर्ट और होटल संचालक पर्यटकों से मनमाना शुल्क वसूलते हैं।
ऐसा नहीं कि वन विभाग को इस कालाबाजारी की जानकारी न हो, पिछले सप्ताह बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व पहुंचे नए डिप्टी डायरेक्टर पीके वर्मा ने स्वयं ही कहा था कि कुछ रिसोर्ट और होटलों के संचालक टिकट की कालाबाजारी कर रहे हैं, उनको यह जानकारी मिली है।
उन्होंने ऐसा करने वालों को यह कहकर चेतावनी भी दी थी कि कालाबाजारी करने वालों पर नजर रखी जा रही है। हालांकि पिछले दिनों एक मामला में कार्रवाई की गई, लेकिन इसके बाद भी कालाबाजारी थमी नहीं है।
एक टिकट से छह पर्यटक कर सकते हैं सफारी
एक टिकट से छह पर्यटक सफारी कर सकते हैं, लेकिन समूह में पहुंचने वाले पर्यटकों में से सिर्फ एक नाम एडआन किया जाता है। समूह के अलग-अलग लोगों को एडआन कर प्रति व्यक्ति अतिरिक्त पैसा लिया जा रहा है। जिप्सी सवारी के लिए सभी पर्यटकों की बुकिंग होती है लेकिन इसमें भी संख्यावार अतिरिक्त पैसे लिए जा रहे हैं। करंट बुकिंग में भी काजाबाजारी की जा रही है। इसके लिए बाहरी लोगों की आइडी लगाकर रिसोर्ट और होटल संचालकों के लोग विंडो खुलने के समय से पहले ही कतार में खड़े हो जाते हैं और पहले ही बुकिंग करा लेते हैं।
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