महेश्वर। सड़क हादसों में सैकड़ों इंसानी जान लेने के बाद भी मुंबई- आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग स्थित गणपति घाट में निकट भविष्य में सुधार होने के आसार दिखाई नहीं दे रहे। सात साल लंबी सरकारी प्रक्रिया किसी तरह पूरी होने पर इसी वर्ष जुलाई-अगस्त शुरू हुआ, सुधार कार्य फिर ठप हो गया है। अब काम फिर कब शुरू होगा, यह बताने वाला भी कोई नहीं है। सरकारी अनुमानों के अनुसार घाट सुधार का काम शुरू होने के एक वर्ष में यानी जून 24 तक पूरा होना था।
इस बीच गणपति घाट में हादसों का सिलसिला जारी है और पिछले तीन माहों में हुए बड़े हादसों में 12 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। मुंबई-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर चार किमी लंबा गणपति घाट वाला हिस्सा दुर्घटना झोन (ब्लैक स्पाट) माना गया है। यहां ढलान, स्पीड ब्रेकर और फिर चढ़ाई हादसों का कारण बनती है।
गणपति घाट पर ज्यादातर वे भारवाहक वाहन हादसे का शिकार होते हैं, जिनमें ऐसा माल भरा होता है। जो ढलान पर खिसक कर आगे की ओर पहुंच जाता है। जैसे फर्शी, पत्थर, टाइल्स से भरे वाहन। जब चलती गाड़ी में भारी सामान की जगह बदलती है तो वाहन असंतुलित और बेकाबू हो जाता है। चालक वाहन से नियंत्रण खो देता है और वाहन अन्य वाहनों को भी चपेट में ले लेता है।
2018 में हुए 65 हादसे
गणपति घाट निर्माण के बाद पिछले 15 वर्षों में हुए सड़क हादसों में 200 से ज्यादा जानें जा चुकी हैं। पुलिस रिकार्ड के अनुसार वर्ष 2018 में सर्वाधिक 65 हादसे हुए। इनमें 35 लोगों की जान चली गई और 99 लोग घायल हुए। 2018 के अलावा 2017 में हुए हादसों में 29 लोगों की अकाल मौत हुई। इसके बाद घाट पर हादसे रोकने के प्रयास शुरू हुए, लेकिन स्थायी समाधान नहीं निकल सका।
नए-नए प्रयोगों किए जाने से ऐसा जरूर लगा कि कुछ काम हो रहा है लेकिन न हादसे कम हुए न उनमें जाने वाली जानों को रोका जा सका और ना ही कागजी कार्रवाई पूरी हो सकी। घाट में लगातार हो रहे हादसों के कारणों की जांच के बाद विस्तृत रिपोर्ट भारत सरकार एवं सड़क निर्माण से जुड़े तकनीकि विशेषज्ञों तक पहुंचाई।
इसके बाद घाट में सुधार को लेकर कागजी कार्रवाई शुरू हुई। गणपतिघाट के लिए रिअलाइनमेंट प्रोजेक्ट अस्तित्व में आया। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है।
यह काम होना है
रिअलाइनमेंट प्रोजेक्ट के अनुसार ढाल गांव से घाट के नीचे की तरफ नीमगढ़ गांव तक सड़क बनेगी। गणेश घाट पर बनने वाली सेपरेट लेन की लंबाई 8.87 किमी और चौड़ाई 30 मीटर होगी। इस कार्य पर करीब 209 करोड़ रुपये खर्च किए होगा। अभी इस रोड पर 6 मीटर का ग्रेडिएंट (ढलान) है।
लेन अलग होने पर यह 3.3 मीटर रह जाएगा। हरियाणा की कालवाला कंस्ट्रक्शन कंपनी को निर्माण का जिम्मा सौंपा है। इस प्रोजेक्ट में 33 हेक्टेयर जमीन लगेगी। जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया और वन विभाग की अनुमति मिलने में फिर सालों लग गए। अंत में यह काम जब निपटा और किसी तरह काम शुरू हुआ तो न जाने किस वजह से काम फिर अटक गया।
एक साल में तैयार कर देंगे
एनएचएआइ के महाप्रबंधक व प्रोजेक्ट डायरेक्टर सुमेश बांझल के मुताबिक रात में रोशनी के लिए लाइट लगाई है। गति नियंत्रण के लिए रंबल स्ट्रिप भी बनाई है। दो लेन की सड़क को चार लेन में तब्दील कर कुछ एक हिस्से पर पेवर ब्लाक लगाए हैं, ताकि वाहनों की गति नियंत्रित हो सके।
बीच में लेन सेपरेट करने के लिए ड्रम भी रखे हैं। इससे दुर्घटनाओं में कमी भी आई है। मौजूदा रोड से दो किमी दूर नई सड़क बनाई जाएगी। इसके लिए पहाड़ काटने के अलावा चार से पांच पुल भी बनाएंगे। निर्माण एजेंसी को सड़क बनाने के लिए डेढ़ साल का समय दिया, लेकिन एक साल में इस तैयार करने की कोशिश रहेगी।
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