जावरा। चार महीने से मांगलिक कार्यों पर लगा ब्रेक 23 नवंबर को हटेगा। भगवान विष्णु निद्रा से जागेंगे और मांगलिक कार्यों का श्रीगणेश होगा। नवंबर में मुहूर्त गिनती के है, इसलिए देवउठनी ग्यारस पर ही ज्यादातर वर-वधू परिणय सूत्र में बंधेंगे। दो महीने में 14 शुभ मुहूर्त है। शादियों की शोभा बढ़ाने बैंड-बाजे से लेकर बारात तैयार है।
लेकिन इसी खुशी के बीच पर्यावरण को नुकसान ना पहुंचे इसके लिए सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाना जरूरी है। अभी भी शहर से निकलने वाले कचरे में सिंगल यूज प्लास्टिक निकल रहा है। विवाह समारोह में प्लास्टिक से बने डिस्पोजल आयटमों का उपयोग अधिक होता है। ऐसे में प्रशासन को अलर्ट रहने की जरूरत है।
सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित, उपयोग रोकने कसना होगी कमर
1 जुलाई 2022 से सिंगल यूज प्लास्टिक प्रतिबंधित है। इनमें डिस्पोजल आयटम भी शामिल है। जिनका उपयोग शाही समारोह आदि में सर्वाधिक होता है। हालाकि अब तक पालीथिन के अलावा अन्य सामग्रियों का उपयोग न के बराबर हो रहा था। लेकिन शाही समारोह जैसे आयोजन में प्लास्टिक से बनी कटोरी, चम्मच, ग्लास आदि का उपयोग अधिक होता है। चूंकि शहर में 15 से अधिक रिसोर्ट व धर्मशालाएं हैं।
शादियों की तिथि अनुसार सभी की बुकिंग हो चुकी है। नए साल से वैवाहिक आयोजन की गूंज ज्यादा होगी क्योंकि मुहूर्त अधिक रहेंगे। आयोजन में इस बार धुमधड़ाका अधिक होगा। सारे आयोजन बड़े स्तर पर होंगे। यहां तक हल्दी व मेहंदी जैसी रस्में जो सिर्फ पारिवारिक सदस्यों के बीच निभाई जाती है, इस बार उन्हें भी इवेंट की तरह डेकोरेशन के साथ मनाया जाएगा। सभी मुहूर्तों के हिसाब से होटल, रिसोर्ट, गार्डन बुक हो गए हैं।
वेडिंग सेक्टर की तैयारी पूरी, आर्डर भी आ रहे
शादियों के लिए मैरिज रिसोर्ट, होटल, केटर्स, लाइट- फ्लावर डेकोरेशन, बैंड, डीजे सहित सभी की एडवांस बुकिंग शुरू हो चुकी है। वेंडिंग इंडस्ट्रीज से जुड़ें कारोबारियों में उत्साह है। उन्हें उम्मीद है कि मुहूर्त को देखते हुए अच्छा व्यापार होगा। इसमें ज्वैलरी, कपड़े, फर्नीचर, व्हीकल सेगमेंट भी शामिल है। चुंकि 4 महिने मांगलिक कार्य नहीं होते है इस कारण दीपावली के बाद शुरू हुए इस सीजन को शुभ माना जाता है। सभी की प्री-बुकिंग हो चुकी है।
मंदिरों में धार्मिक आयोजन, घरों में दीये जलेंगे
नगर सहित ग्रामीण अंचल में कार्तिक मास की देवउठनी ग्यारस तुलसी विवाह के रूप में मनाई जाएगी। मंदिरों पर तुलसी विवाह सहित अन्य धार्मिक आयोजन होंगे। शहरवासी छोटी दीपावली के रूप में मनाते हुए घरों की देहलीज पर दीये जलाएंगे और आंगन को रंगोली से सजाएंगे। बच्चे भी आतिशबाजी का आनंद लेंगे।
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