पर्सनल लोन: आरबीआई ने पर्सनल लोन से जुड़े नियमों में बदलाव करते हुए उन्हें और कड़े कर दिए हैं। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक अगस्त, 2022 में यह राशि 36.47 लाख करोड़ रुपये की थी जो की इस वर्ष अगस्त, 2023 में बढकर भारत के वाणिज्यिक बैंकों का कुल पर्सनल लोन 47.40 लाख करोड़ रुपये रहा। पिछले महीने मौद्रिक नीति पेश करते हुए आरबीआई की तरफ से देश में बढ़ते पर्सनल लोन को लेकर चिंता जताई थी और कहा था कि बैंकों को अपने स्तर पर ही इसे कम करने की कोशिश करनी चाहिए। लेकिन लगता है कि बैंक ऐसा नहीं कर पाये और अब गुरुवार को आरबीआई ने कुछ ऐसे कदम उठाये हैं जिससे बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए अब पर्सनल लोन के लिए ज्यादा राशि का समायोजन करना होगा।
इन पर लागू नहीं होगा नियम
यह नियम आवास, शिक्षा व वाहन क्षेत्र को दिए जाने वाले लोन व सोना व स्वर्णाभूषण के एवज में लिय गये पर्सनल लोन पर लागू नहीं होगा। इसका एक असर यह भी हो सकता है कि पर्सनल लोन के लिए ब्याज दरें अब बढ़ सकती हैं और ग्राहकों को ज्यादा मासिक किस्त चुकानी पड़ सकती है। आरबीआई का यह कदम बैंकिंग सेक्टर में बगैर किसी खास सुरक्षा के पर्सनल लोन देने के प्रचलन पर लगाम लगा सकता है।
क्या है नया नियम?
आरबीआई के नये निर्देश में सभी वाणिज्यिक बैंकों को कहा गया है कि स्वर्ण और स्वर्णाभूषण से सुरक्षित आवासीय, शिक्षा और वाहन लोन के अलावा अन्य सभी पर्सनल लोन के लिए जोखिम समायोजना का स्तर 100 फीसद से बढ़ा कर 125 फीसद कर दिया है। अभी उक्त श्रेणी का जितना कर्ज बैंक देते हैं उसके बदले 100 फीसद राशि उनको अपनी खाता-बही में समायोजन करना पड़ता है। यह लोन के साथ जुड़े जोखिम को देखते हुए किया जाता है। चूंकि पर्सनल लोन के बदले ग्राहक से आम तौर पर कोई गारंटी नहीं रखी जाती है। हाल ही में इसमें हो रही भारी वृद्धि को देखते हुए केंद्रीय बैंक चिंतित रहा है।
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