जिन इलाकों में बिजली नहीं होती वहां ईवीएम से कैसे डाले जाते हैं वोट, जानें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से जुड़े सवाल
देश के पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, जिनके नतीजे 3 दिसंबर को सामने आएंगे। लोकसभा और प्रदेश विधानसभा चुनावों में ईवीएम के उपयोग से मतदान (Voting) से लेकर मतगणना (Counting) तक चीजें आसान हो गई हैं। इतना ही नहीं, ईवीएम ने चुनाव करवाने का खर्च भी बहुत हद तक कम कर दिया है। हमारे देश में सालोंभर कहीं ना कहीं चुनाव होते ही रहते हैं, इस कारण भी ईवीएम का महत्व काफी बढ़ गया है। अभी हमारे देश में ईवीएम के दूसरे संस्करण का उपयोग हो रहा है जिसकी क्षमता पहले संस्करण के मुकाबले काफी ज्यादा है।
देश के पांच राज्यों में चुनाव होने जा रहे हैं, जिनके नतीजे 3 दिसंबर को सामने आएंगे। इन राज्यों में कई पोलिंग बूथ ऐसे भी हैं, जो काफी रिमोट इलाके में हैं।राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत पांच राज्यों में नवंबर के महीने में वोट डाले जाएंगे, जिसके बाद 3 दिसंबर को नतीजे आएंगे।
जानें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से जुड़े सवाल
- इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) वोट रिकॉर्ड करने के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। एक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन में दो इकाइयां होती हैं- एक नियंत्रण इकाई (Control Unit) और दूसरी मतदान इकाई (Voting Unit) जो पांच मीटर की केबल से जुड़ी होती है। कंट्रोल यूनिट को पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखा जाता है जबकि वोटिंग यूनिट को वोटिंग कंपार्टमेंट के अंदर रखा जाता है।
भारत में ईवीएम का उपयोग पहली बार वर्ष 1982 में केरल के (70) परूर विधानसभा क्षेत्र में किया गया था।
ईवीएम में आप वोट कैसे डाला जाता है? - ईवीएम में बैलेट पेपर नहीं दिया जाता है बल्कि कंट्रोल यूनिट के प्रभारी मतदान अधिकारी कंट्रोल यूनिट पर बैलेट बटन दबाकर एक बैलेट जारी करते हैं। फिर वोटर अपनी पसंद के उम्मीदवार और चुनाव चिह्न के सामने बैलेटिंग यूनिट पर नीले बटन को दबाकर अपना वोट डालता है।
एक ईवीएम में ज्यादा से ज्यादा कितने वोट डाले जा सकते हैं? - निर्वाचन आयोग द्वारा उपयोग की जा रही एक ईवीएम अधिकतम 2,000 वोट रिकॉर्ड कर सकती है।
वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) क्या है? - वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPT) इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के साथ जुड़ा एक स्वतंत्र सिस्टम है जिससे मतदाता को यह जांच कर सकते हैं कि उनके वोट उनकी पसंद के उम्मीदवारों को ही गए या नहीं। जब कोई वोट डालता है तो उम्मीदवार की क्रम संख्या, नाम और चुनाव चिह्न वाली एक पर्ची निकलती है जो 7 सेकंड के लिए एक पारदर्शी खिड़की में दिखती है। इसके बाद, यह पर्ची खुद ही कटकर वीवीपीएटी के सीलबंद ड्रॉप बॉक्स में गिर जाती है।
आप कैसे पता कर सकते हैं कि आपका वोट वैध है कि नहीं? - ईवीएम की खासियत ही यही है कि इसमें अवैध वोट डाले जाने की गुंजाइश ही नहीं रहती है। आप जो वोट डालते हैं, वो वीवीपीटी मशीन के जरिए एक पर्ची में दिख जाता है। वोट डालने के बाद आपके पास 7 सेकंड का वक्त रहता है। आप वीवीपीटी मशीन से निकलने वाली पर्ची को गौर से देखकर मिलान कर लें कि इसमें उसी उम्मीदवार का नाम, क्रम संख्या और चुनाव चिह्न अंकित है जिसे आपने वोट दिया है।
क्या वीवीपीएटी बिजली से चलता है? - नहीं, वीवीपीएटी एक पावर पैक बैटरी पर चलता है। आखिर कोई अनपढ़ व्यक्ति को ईवीएम और वीवीपीटी जैसी आधुनिक मशीन को कैसे समझ पाएगा?
- तकनीक हमेशा चीजें आसान ही करती है। ईवीएम और वीवीपीटी में भी ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया गया है जिससे नासमझ व्यक्ति भी अपना वोट मर्जी के उम्मीदवार को दे सकता है। इसमें सिर्फ एक बटन दबाना होता है और वोट पसंद के उम्मीदवार को चला जाता है। जहां तक वीवीपीटी की बात है तो वहां अनपढ़ व्यक्ति भले ही उम्मीदवार का नाम और क्रम संख्या नहीं पढ़ पाए, लेकिन चुनाव चिह्न तो देखकर समझ ही सकता है कि उसका वोट सही कैंडिडेट को गया या नहीं। दरअसल, चुनाव चिह्न का मकसद ही यही होता है कि अनपढ़ व्यक्ति भी अपने पसंद के प्रत्याशी के पक्ष में मतदान कर सके।
ईवीएम के उपयोग के क्या लाभ हैं? - ईवीएम के उपयोग के कई फायदे हैं- इसमें ‘अवैध मतदान’ (Casting Invalid Votes) की आशंका नहीं रहती है। पेपर बैलेट सिस्टम में इनवैलिड वोटिंग की खूब शिकायत होती थी। कई बार तो प्रत्याशी ने जितने वोट के अंतर से जीत दर्ज करते थे, उससे ज्यादा संख्या इनवैलिड वोटों की होती थी। इस कारण शिकायतों का अंबार लग जाता था और मामला मुकदमेबाजी तक पहुंच जाता था। लेकिन ईवीएम ने इसकी गुंजाइश खत्म कर दी। अब मतदाता अधिक प्रामाणिक और सटीक तरीके से अपनी पसंद के उम्मीदवार को वोट दे सकते हैं। ईवीएम के उपयोग से, प्रत्येक चुनाव के लिए लाखों मतपत्रों की छपाई की जा सकती है क्योंकि प्रत्येक मतदान केंद्र पर प्रत्येक मतदाता के लिए एक मतपत्र के बजाय प्रत्येक मतदान केंद्र पर बैलॉटिंग यूनिट में सिर्फ एक मतपत्र की जरूरत होती है। इस कारण कागज, छपाई, ट्रांसपोर्टेशन, स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन के खर्चे में भारी कटौती हो जाती है।ईवीएम से गिनती की प्रक्रिया बहुत तेज हो जाती है जबकि पारंपरिक बैलेट पेपर सिस्टम से औसतन 30-40 घंटों के बाद चुनाव परिणाम आते थे। अब ईवीएम से औसतन 3 से 5 घंटे के अंतर रिजल्ट आ जाया करते हैं।
मतदान खत्म होने के बाद ईवीएम को कहां रखा जाता है? - मतदान केंद्र पर वोटिंग खत्म होने के बाद ईवीएम को स्ट्रॉन्ग रूम में जमा किया जाता है। स्ट्रॉन्ग रूम आम तौर पर जिला मुख्यालय में बनाए जाते हैं।
अगर मतदान करते समय बिजली चली जाए तो क्या आपके वोट की गिनती होगी? - ईवीएम को बिजली की जरूरत होती ही नहीं है। ईवीएम भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड/इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड द्वारा असेंबल की गई एक साधारण बैटरी पर चलती है।
- ईवीएम में अधिकतम कितने उम्मीदवारों के नाम रिकॉर्ड हो सकते हैं?
भारत में होने वाले तमाम बड़े तरह के चुनावों में वोट डालने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) का इस्तेमाल होता है। हर राज्य में चुनाव से ठीक पहले हजारों की संख्या में ईवीएम पहुंचती हैं, जिन्हें अलग-अलग पोलिंग बूथों पर तैनात किया जाता है। कई पोलिंग बूथ ऐसे इलाकों में भी होते हैं, जहां पर बिजली नहीं होती है। अब सवाल है कि ऐसे बूथों पर वोटिंग कैसे कराई जाती है। दरअसल ईवीएम के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती है। इसे किसी भी रिमोट इलाके में आसानी से ले जा सकते हैं और ये बैटरी से चलती हैं।
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