राजस्थान के टोंक और आसपास के इलाकों में शनिवार को भूकंप के झटके महसूस किए गए। राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र के मुताबिक, टोंक में रात करीब 10.30 बजे 3.2 तीव्रता का भूकंप आया। हालांकि, किसी संपत्ति के नुकसान की खबर नहीं है। इससे पहले पिछले हफ्ते भूकंप के तेज झटकों से पूरा उत्तर भारत हिल उठा था। इस भूकंप का केंद्र नेपाल में था और यहां बड़ी तबाही हुई थी। करीब 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी।
क्यों आता है भूकंप
दरअसल, हमारी धरती मुख्य रूप से चार परतों से बनी हुई है, जिन्हें इनर कोर, आउटर कोर, मैन्टल और क्रस्ट कहा जाता है। क्रस्ट और ऊपरी मैन्टल को लिथोस्फेयर कहा जता है। ये 50 किलोमीटर की मोटी परतें होती हैं, जिन्हें टैक्टोनिक प्लेट्स कहा जाता है। ये टैक्टोनिक प्लेट्स अपनी जगह से हिलती रहती हैं, घूमती रहती हैं, खिसकती रहती हैं। ये प्लेट्स अमूमन हर साल करीब 4-5 मिमी तक अपने स्थान से खिसक जाती हैं। ये क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर , दोनों ही तरह से अपनी जगह से हिल सकती हैं। इस क्रम में कभी कोई प्लेट दूसरी प्लेट के निकट जाती है तो कोई दूर हो जाती है। इस दौरान कभी-कभी ये प्लेट्स एक-दूसरे से टकरा जाती हैं। ऐसे में ही भूकंप आता है और धरती हिल जाती है। ये प्लेटें सतह से करीब 30-50 किमी तक नीचे हैं।
कैसे करें बचाव?
अगर अचानक भूकंप आ जाए तो घर से बाहर खुले में निकल जाएं। यदि आप घर में फंस गए हों तो बेड या मजबूत टेबल के नीचे छिप जाएं। घर के कोनों में खड़े होकर भी खुद को बचा सकते हैं। भूकंप आने पर लिफ्ट का प्रयोग बिल्कुल न करें। खुले स्थान में जाएं, पेड़ व बिजली की लाइनों से दूर रहें। इसके अलावे भूकंप रोधी मकान भी उतने ही जरूरी होते हैं। यह हालांकि बहुत महंगा नहीं होता, पर इसे लेकर लोगों में जागरूकता की कमी के कारण अक्सर लोग इसकी अनदेखी कर बैठते हैं।
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