प्रमुख सचिव ने शपथ पत्र पेश कर हुकमचंद मिल के मजदूरों के भुगतान के लिए मांगा 5 दिसंबर तक का समय

इंदौर। हुकमचंद मिल मामले में हाई कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई हुई। शासन की ओर से शहरी विकास और आवास प्रमुख सचिव नीरज मंडलोई का शपथ पत्र प्रस्तुत हुआ। इसमें कहा है कि आचार संहिता लागू होने की वजह से मप्र गृह निर्माण मंडल मजदूर और अन्य पक्षकारों को भुगतान नहीं हो पा रहा है। इसके लिए 5 दिसंबर 2023 तक का समय दिया जाए।

मजदूरों की ओर से इसका विरोध करते हुए तर्क रखा गया कि पैसा देने में आचार संहिता की बाधा नहीं आती है। शासन को लगता है कि मजदूरों के भुगतान से मतदान प्रभावित हो सकता है तो 17 नवंबर 2023 के बाद भुगतान के आदेश दे दीजिए। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश में मतदान हो जाएगा। 13 नवंबर को जिस दिन शासन ने कोर्ट में प्रस्ताव प्रस्तुत किया था उस दिन भी आचार संहिता लागू थी। उस दिन आचार संहिता की बाधा नहीं आई तो भुगतान में कैसे आ सकती है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया। इसके जारी होने के बाद ही स्पष्ट होगा कि आखिर मजदूरों का भुगतान कब होगा।

भुगतान के लिए अब भी भटक रहे हजारों मजदूर

12 दिसंबर 1991 को हुकमचंद मिल बंद होने के बाद से मिल के 5895 मजदूर और उनके स्वजन बकाया भुगतान के लिए भटक रहे हैं। वर्षों पहले हाई कोर्ट ने मिल मजदूरों के पक्ष में 229 करोड़ रुपये का मुआवजा तय किया था। यह रकम मजदूरों को मिल की जमीन बेचकर दी जाना थी, लेकिन मिल की जमीन बिक ही नहीं सकी। 229 करोड़ रुपये में से अब भी 174 करोड़ रुपये का भुगतान होना शेष है। हाल ही में शासन ने यह रकम देने का निश्चय किया है।

इस बार भी सूनी रहेगी मजदूरों की दीपावली

इस संबंध में 4 अक्टूबर 2023 को हुई मंत्रिपरिषद की अंतिम बैठक में प्रस्ताव भी स्वीकृत हो चुका है। इसके बाद मजदूरों को उम्मीद थी कि दीपावली से पहले उन्हें भुगतान मिल जाएगा। कोर्ट ने शासन से 15 दिन में भुगतान की प्रक्रिया शुरू करने को कहा था, लेकिन कुछ नहीं हुआ। मजदूरों की ओर से पैरवी कर रहे एडवोकेट धीरजसिंह पवार ने बताया कि गुरुवार को निगम की ओर से एक आवेदन प्रस्तुत हुआ है। इसमें कहा है कि मप्र गृह निर्माण मंडल मजदूरों को भुगतान करता है और जमीन का कब्जा लेता है तो हमें कोई आपत्ति नहीं है।

19 के बाद ही होगी अगली सुनवाई

इधर न्यायालय में शुक्रवार से दीपावली अवकाश शुरू हो रहे हैं, जो 19 नवंबर तक रहेंगे। अब 20 नवंबर से ही न्यायालयों में नियमित कामकाज शुरू होगा। यानी इस वर्ष भी मजदूरों की दीपावली काली ही रहेगी। उनके हिस्से में इस बार भी सिर्फ इंतजार ही आएगा। मजदूर नेता हरनामसिंह धालीवाल, नरेंद्र श्रीवंश ने बताया कि मजदूर हताश हैं। मंत्रिपरिषद की बैठक में प्रस्ताव स्वीकृत होने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि दीपावली पूर्व भुगतान हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.