राष्ट्र चंडिका न्यूज़,भोपाल, प्रदेश की पुलिस यदि सक्रिय नहीं हुई तो आने वाले 15 दिन सटोरियों के लिए चांदी काटने वाले होंगे। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा चुनाव में जनता और नेता लगे रहेंगे। इन सबके बीच में सटोरियों का काला कारोबार अपने पिछले सभी आंकड़े इस बार एक साथ दोनों इवेंट में होने से पार कर सकता है। प्रदेश की पुलिस को भी इस बात का आवास हो चला है।
गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव और क्रिकेट वर्ल्ड कप जैसे इवेंट में सट्टा लगाने में रुचि रखने वाले लोग जमकर काला पैसा सट्टा बाजार में लगाते हैं। IPL के दौरान भी मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में पुलिस ने सटोरियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए बड़ी मात्रा में रुपयों को जप्त किया था।
चुनावी ट्रेंड सेट करता है सट्टा बाजार सट्टा बाज़ार में चल रहे इस हार-जीत के खेल ने चुनावी माहौल को मसालेदार बना दिया है. भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के दिग्गज नेताओं की नज़र सट्टा बाजार पर गड़ी हैं. माना जाता है कि सट्टा बाजार चुनावी ट्रेंड को सेट करता है. इसलिए कमज़ोर पड़ रहे कई नेता अपने ख़ास लोगों के ज़रिए सट्टा बाज़ार में अपना पैसा लगा रहे हैं. लेकिन बहुत ही ईमानदारी से चलने वाले इस गैरकानूनी कारोबार में कोई सट्टा खेलने वाला नहीं मिल रहा है.
सट्टेबाज कहते हैं कि – यहां कोई खोटा सिक्का नहीं चलता.
नेता से भी आगे
सट्टा कारोबारियों का अपना नेटवर्क है, जो किसी राजनेता से भी ज़्यादा पैनी नज़र और समझ रखते हैं. ये लोग बाज़ार को समझ कर उम्मीदवार की हार-जीत, किसी भी दल को लेकर जनता की राय, समय से पहले भांप जाते हैं. इसी फीड बैक पर बाज़ार में पैसा लगता है. जो जीतने वाला होगा उसका भाव कम होता है, हारने वाले का ज्यादा. इससे जो हवा बनती है वो बाज़ार के साथ-साथ राजनीतिक गलियारों तक पहुंच कर माहौल को गरमा देती है.
15 पैसे से लेकर डेढ़ रुपए तक भाव
यहां ना कोई नेता बड़ा है और ना कोई छोटा. ना किसी पार्टी से मोहब्बत है, ना किसी से दुश्मनी. जो दमदार है उसी पर सट्टे का दांव है. 15 पैसे से लेकर डेढ़ रुपये तक के भाव चल रहे हैं. कई मंत्रियों और हाई प्रोफाइल सीटों को लेकर जमकर दांव लग रहे हैं. जो सीटें सुरक्षित हैं उन्हें लेकर कोई हलचल नहीं है. मध्य प्रदेश के कई मंत्रियों की सट्टा बाज़ार हार बता रहा है.
थाह लगा पाना मुश्किल
सट्टा बाजार से जुड़े एक बुकी बताते हैं कि ये कारोबार ज़मीन पर नहीं दिखता. ये पूछने पर कि इसका सिरा कहां पर है और कहां तक फैला है, तो वे कहते हैं कि इसकी थाह लगा पाना बहुत मुश्किल है. पान की दुकान से लेकर नाई की दुकान तक, धन्नासेठों से लेकर कारोबारियों तक इससे जुड़े हुए हैं. ये शौक है, ये मौज है, और कई लोगों के लिए लत भी है.
फर्ज़ी तरीके से भाव नहीं घटते
धंधा बहुत चोखा है, इसलिए बहुत बारिकी और ध्यान से होता है. वे उदाहरण देते हैं कि सिवनी की एक प्रतिष्ठित सीट पर प्रत्याशी के भाव ठीक करने के लिए 10 पेटी उनके खास लोग उतारना चाह रहे थे, लेकिन कोई बुकी तैयार नहीं हुआ. कारण है प्रत्याशी के भाव कम होते ही रिजल्ट उल्टा आया तो नुकसान की भरपाई कैसे होगी.
सट्टे के भाव से परेशान नेता
अब सट्टे को लेकर कोई नेता खुलकर बात नहीं करता, लेकिन चुनाव आते ही अपने भाव जानने के लिए और सट्टे में अपनी जीत के लिए आश्वस्ती जरूर चाहता है. सट्टे का यह ट्रेंड कितना मायने रखता है इसकी बानगी सोशल मीडिया पर लिखे जा रहे मैसेज हैं. जिसमें वे शिवराज सरकार की खूबियां गिनाते हुए कह रहे हैं कि बहस की कोई गुंजाइश नहीं है.