राजस्थान कांग्रेस ने आज से बारां में ईआरसीपी के मुद्दे को लेकर चुनावी शंखनाद शुरू कर दिया हैं। राष्ट्रीय परियोजना घोषित नहीं करने पर कांग्रेस पार्टी केंद्र की बीजेपी सरकार को घेरने की पूरी तैयारी में हैं। 13 जिलों की प्यास के मुद्दे के साथ ही राजस्थान में कांग्रेस का चुनावी बिगुल भी आज से बज गया हैं। कांग्रेस की सियासी यात्रा तो शुरू हो चुकी हैं। तो चलिए सबसे पहले समझते है कि आखिर ईआरसीपी का पूरा गणित क्या कहता हैं?
किसानों से पहले क्या बुझेगी राजनीतिक प्यास
राजस्थान के 13 जिलों की प्यास बुझाने वाला ईआरसीपी का मुद्दा आम जनता से पहले राजनीतिक प्यास बुझाएगा। राजनीतिक समीकरणों में उलझे हम ईआरसीपी को उस नजरिये से देखने की कोशिश करते हैं, जो 13 जिलों के लिए वरदान साबित होगा। मगर ERCP परियोजना को पूरा करना एक या दो साल का काम नहीं हैं, बल्कि इस काम में कई साल लगेंगे। अगर राज्य सरकार एक साल में 4 हजार करोड़ रुपये भी इस परियोजना पर खर्च करती हैं, तब भी इस सपने को पूरा होने में लगभग 10 साल का समय लगेगा। हालांकि, अब तक राजस्थान सरकार इस प्रोजेक्ट पर 1130 करोड़ रूपए खर्च भी कर चुकी है और ईआरसीपी पर कुल 37,247 करोड़ रुपये खर्च होने की संभावना भी जताई गई हैं।
पहले ईआरसीपी की डीपीआर में शामिल 26 बांध जोड़े गए थे। मगर इस साल के बजट के मुताबिक राज्य सरकार दौसा, अलवर, सवाई माधोपुर और भरतपुर के 53 और बांध भरेगी। लेकिन रामगढ़ बांध को भरने वाले ईसरदा बांध का निर्माण कार्य अभी तक तक़रीबन 65 प्रतिशत ही पूरा हो पाया हैं। संभावना हैं कि बचा हुआ कार्य भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा। ऐसे में करीब 18 साल से प्यासा जयपुर का रामगढ़ बांध अब ईसरदा बांध से भरेगा। बता दें कि ईसरदा बांध से रामगढ़ बांध की दूरी करीब 130 किलोमीटर है। रामगढ़ बांध भरने के बाद जयपुर के आंधी, जमवारामगढ़, आमेर, गोविंदगढ़, शाहपुरा, विराटनगर कोटपूतली के साथ अलवर के थानागाजी और बानसूर को फायदा मिलेगा।
ईआरसीपी से इन जिलों की बुझेगी प्यास
ईस्टन नहर से सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, झालावाड़, बांरा, बूंदी, कोटा, करौली, भरतपुर, अलवर और धौलपुर को जोड़ने के लिए योजना बनाई गई है। इसके अंतर्गत कुन्नू बैराज, रामगढ़, महलपुर, नवनेरा, मेज, राठौड़ बैराज हैं। इसके साथ ही सवाई माधोपुर में बनास नदी पर डूंगरी बांध भी बनाया जाएगा।
ये बांध बनेंगे
अगले चरण में डूंगरी बांध, राठौड़ बांध का निर्माण किया जाएगा। इसके बाद टोंक, सवाई माधोपुर, दौसा करौली, भरतपुर, अलवर और जयपुर के बांध भरे जाएंगे। इससे दो लाख हेक्टेयर क्षेत्र में नवीन सिंचाई क्षेत्र विकसित होंगे।
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