शनिश्चरी सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर उज्जैन के त्रिवेणी घाट पर हो रहा पर्व स्नान

उज्जैन। महालय श्राद्धपक्ष की सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर आज शनिश्चरी का संयोग बना है। पंचांगीय गणना के अनुसार आज गजछाया योग का निर्माण भी हो रहा है। यह योग पितरों के पूजन व स्नान दान के लिए विशेष माना जाता है। शनिश्वरी अमावस्या पर शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर पर्व स्नान सुबह से शुरू हो गया है। प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए त्रिवेणी घाट पर फव्वारों का इंतजाम किया गया है।

शनिश्वरी सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर शिप्रा स्नान के लिए भक्तों का उज्जैन पहुंचने का सिलसिला शुक्रवार दोपहर से शुरू हो गया था। कई भक्तों ने त्रिवेणी स्थित प्राचीन नवग्रह शनि मंदिर में रात्रि विश्राम किया। शनिवार अल सुबह स्नान का सिलसिला शुरू हो गया। प्रशासन द्वारा शनिदेव के दर्शन तथा त्रिवेणी घाट पर स्नान करने वाले श्रद्धालुओं के लिए अलग-अलग कतार लगवाई गई हैं। इसके लिए शुक्रवार सुबह से ही बैरिकेडिंग कर दी गई थी। शिप्रा स्नान कर शनिदेव के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं के लिए घाट पास उद्यान से ही मंदिर में प्रवेश की व्यवस्था है।

स्नान के बाद श्रद्धालु छोड़ रहे पनौती

शनिश्वरी अमावस्या पर त्रिवेणी स्नान करने आने वाले श्रद्धालु स्नान के बाद कपड़े तथा चप्पल जूते के रूप में पनौती छोड़ रहे हैं। प्रशासन द्वारा छोड़े गए कपड़े व जूते चप्पलों के एकत्रीकरण के विशेष इंतजाम किए गए हैं।

शनिदेव का विशेष शृंगार

शिप्रा के त्रिवेणी संगम पर भगवान शनिदेव का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। शनिश्चरी अमावस्या पर श्रद्धालु संगम में स्नान के बाद शनिदेव के दर्शन व तेलाभिषेक कर रहे हैं। महापर्व पर भगवान शनिदेव का विशेष श्रृंगार कर महाआरती का आयोजन किया जा रहा है।

शनिदेव व पितरों की प्रसन्नता के लिए करें पूजन

ज्योतिषाचार्य पं.अमर डब्बावाला ने बताया सर्वपितृ शनिश्चरी अमावस्या पर भक्त अपने पितृ व शनिदेव की प्रसन्नता के लिए विभिन्न उपाय कर सुख, समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। महालय श्राद्धपक्ष के सोलह दिन जो लोग अपने पितरों के निमित्त तर्पण, पिंडदान आदि कर्म नहीं कर पाए हैं, वे सर्वपितृ मोक्ष अमावस्या पर गजछाया योग के महासंयोग में पितृ कर्म कर सोलह दिन का पुण्य एक साथ प्राप्त कर सकते हैं।

वहीं शनिदेव की प्रसन्नता के लिए शनि की वस्तुओं का दान करें। उन्होंने बताया कि शनिदेव का तेलाभिषेक करें तथा शनि के विभिन्न स्रोतों का पाठ कर भिक्षुकों को भोजन अर्पित करें। ऐसा करने से शनिदेव का आशीर्वाद सुख, समृद्धि के रूप में प्राप्त होता है।

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