रतलाम। एक युवक की हत्या करने के मामले में न्यायालय ने 42 वर्षीय रामचंद्र पुत्र भगवानलाल को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। उस पर पांच हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया। फैसला तृतीय अपर सत्र न्यायाधीश लक्ष्मणकुमार वर्मा ने सुनाया। प्रकरण में उल्लेखनीय बात यह है कि जिस युवक की हत्या हुई थी, उसकी शिनाख्त ही नहीं हो पाई है।
दरअसल, पांच जुलाई 2016 को रेलवे के क्यू ट्रेक के ब्रिज पर 30 से 35 वर्ष के युवक का शव मिला था। सूचना मिलने पर स्टेशन रो थाने के तत्कालीन एसआइ रामसिंह खपेड़ व अन्य पुलिसकर्मियों ने मौके पर पहुंचकर जांच की थी। मृतक के सिर व शरीर पर चोट के निशान और जेब में एक कागज मिला था, जिसमें सात लोगों के नाम व फोन नम्बर लिखे थे।
पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद हत्या का प्रकरण दर्ज कर जांच की तो पाया कि युवक की हत्या रामचंद्र ने की है। रामचंद्र को पुलिस ने गिरफ्तार कर पूछताछ की थी तो उसने बताया था कि वह मृतक को जानता भी नहीं था। मृतक मजदूरी करने रतलाम आया था और उसे रेलवे स्टेशन पर मिला था। वह उसे बातों में उलझाकर घटनास्थल ले गया और हत्या कर दी। इसके बाद उसकी जेब में सात लोगों के नाम व मोबाइल नम्बर लिखा कागज रख दिया था ताकि पुलिस उन पर शंका करे कि उन्होंने हत्या की है।
पत्नी की बेवफाई से नाराज था
पूछताछ में रामचंद्र ने पुलिस को बताया था कि वह पत्नी की बेवफाई से नाराज था। पत्नी, उसके भाइयों और बहनों आदि को झूठे केस में फंसाने के लिए उसने षडयंत्र रचकर उक्त युवक की हत्या की थी। पुलिस ने मृतक व अभियुक्त रामचंद्र के शर्ट पर पाए गए खून के धब्बों आदि का डीएनए टेस्ट कराया था। डीएनए रिपोर्ट पाजीटिव आई थी।अभियोजन पक्ष ने रेलवे स्टेशन पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज भी लिए थे, जिनमें मृतक व आरोपित साथ जाते पाए गए थे। न्यायालय ने सुनवाई के बाद साक्ष्यों को प्रमाणित मानते हुए रामचंद्र को सजा सुनाई। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी अपर लोक अभियोजक संजीवसिंह चौहान ने की।
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