इंदौर। शासकीय अस्पतालों में सुविधाओं देने के लिए बड़े-बड़े दावे तो किए जाते हैं, लेकिन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। एमवाय अस्पताल में एक बेटा अपनी बीमार मां को लेकर सात-आठ दिनों से परिसर में ही रुका हुआ है। मां चल नहीं सकती है, क्योंकि उनके पैर का इलाज चल रहा है। अभी पैर में पट्टा भी बंधा हुआ है। बेटा वहीं रहकर मां की सेवा कर रहा है, लेकिन जिम्मेदारों को पीड़ितों को यह दर्द दिखाई ही नहीं दे रहा है। आरोप है कि पूरा इलाज किए बिना ही डिस्चार्ज कर दिया। राजगढ़ निवासी गोपाल राठौर ने बताया कि दो-तीन साल से परेशान हो रहा हूं, एमवाय अस्पताल में ही मां का इलाज करवा रहा हूं।
डाक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया
मां शकुंतला बाई घर में गिर गई, जिसके बाद वर्ष 2021 में उनका यहां आपरेशन करवाया था, वर्ष 2022 में भी उनका यहीं इलाज करवाया था। अभी फिर आपरेशन हुआ, बाकि कोई फर्क नहीं पड़ रहा है। अभी भी पांव में घाव है। एमवाय अस्पताल परिसर में इसलिए बैठे हैं, क्योंकि डाक्टरों ने डिस्चार्ज कर दिया है। हमारे पास घर जाने की सुविधा नहीं है। घर भी काफी दूर है, ऐसे में मां को कुछ हो गया तो इतनी दूर इलाज करवाने के लिए कैसे लेकर आऊंगा।
दो माह के बच्चे के साथ रुके
इसलिए सात-आठ दिन से यहीं बाहर मां के साथ रह रहा हूं। मां अभी ठीक नहीं हुई है, लेकिन फिर भी उन्हें डिस्चार्ज कर दिया है। एक और मामले में देवास जिले के सतवास से आए धूम सिंह ने भी डाक्टरों पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कहा कि रीढ़ की हड्डी का आपरेशन करना था, लेकिन पैरों की नस बांध दी गई। पिछले 10 दिनों से अस्पताल के बाहर अपनी पत्नी और दो माह के बच्चे के साथ रुके हुए हैं।
राजगढ़ निवासी शकुंतला बाई को इलाज के बाद डिस्चार्ज कर एक माह बाद वापस आने के लिए कहा गया था, लेकिन इसके बाद भी वे घर नहीं गए। डाक्टरों द्वारा उनका बेहतर इलाज किया गया है। हमने मरीज को वापस भर्ती कर लिया है। – डा. पीएस ठाकुर अधीक्षक, एमवाय अस्पताल
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