ग्वालियर। हिंदी साहित्य भवन में शोध के लिए अलग अलग कक्ष बनने के साथ इस बात का ध्यान रखा जा रहा है भवन अपनी भारतीय संस्कृति को समेटे हुए दिखाई दे । भवन
में वह सबकुछ तैयार किया जा रहा है जो आपको पुरातन संस्कृति के दर्शन कराएगा। इसलिए घने वन,कुटिया , ओपन क्लास रूम सहित उसमें आधुनिकता के साथ गुरुकुल की भी झलक दिखाई देगी।भारत रत्न श्रीअटल बिहारी वाजपेयी स्मृति हिंदी साहित्य भवन का अब जो स्वरूप तैयार किया जा रहा है, वह प्रदेश में हिंदी सहित अन्य भाषाओं,बोली को समझने और शोध के लिए भी होगा। अटलजी के हिंदी को लेकर योगदान का महत्व भी बताया जाएगा। हिंदी पर शोध का संस्थान आकर्षक रूप से तैयार होगा। इसका डिजायन फायनल कर ले-आउट को तैयार किया जा चुका पूर्व प्रधानमंत्री अटलजी ने कहा था-क्या मेरे मरने के बाद बनेगा हिंदी भवन विदेश मंत्री रहने के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने 1977 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के सत्र में हिंदी में भाषण देकर राष्ट्रभाषा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मान दिलाया था। हिंदी के प्रति उनके प्रेम को उनके इस उदाहरण से आसानी से समझ सकते हैं। उनका सपना था ग्वालियर में हिंदी भवन का निर्माण हो। यहां ग्वालियर आ
गमन के दौरान हिंदी साहित्य भवन के लिए उन्होंने जीते-जी काफी प्रयास किए। ग्वालियर के अपने साहित्यकार साथियों से उन्होंने यहां तक कहा कि क्या मेरे मरने के बाद बनेगा हिंदी भवन। उनके निधन के 5 साल बाद अब भवन आकार लेने लगा है।
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