दुर्घटना के छह माह बाद प्रस्तुत किया क्लेम केस कोर्ट ने नहीं स्वीकारा

इंदौर। दुर्घटना के छह माह बाद प्रस्तुत क्लेम प्रकरण कोर्ट ने निरस्त कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में प्रचलित मोटरयान अधिनियम के प्रविधानों के तहत दुर्घटना के छह माह के भीतर क्लेम प्रकरण प्रस्तुत करना अनिवार्य है। परिवादी ने तय समय सीमा के बाद प्रकरण प्रस्तुत किया है। इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। परिवादी ने तर्क रखा कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं थी, लेकिन विधि की भूल क्षम्य नहीं होती। इसे क्षमा नहीं किया जा सकता।

परिवादी अंकित और जगदीश 14 अप्रैल 2022 को रतलाम में हुई दुर्घटना में घायल हो गए थे। अंकित ने 25 लाख रुपये और जगदीश ने पांच लाख रुपये मुआवजा दिलाने की मांग करते हुए वाहन का बीमा करने वाली कंपनी के खिलाफ इंदौर के जिला न्यायालय में क्लेम प्रकरण प्रस्तुत किया था। बीमा कंपनी की ओर से एडवोकेट मुजीब खान ने कोर्ट के सामने तर्क रखे कि दुर्घटना 14 अप्रैल 2022 को हुई थी, जबकि प्रकरण 2 फरवरी 2023 को प्रस्तुत किया गया है। मोटरयान अधिनियम के प्रविधानों के अनुसार दुर्घटना से छह माह के भीतर प्रकरण प्रस्तुत करना होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।

परिवादी के इस तर्क को कोर्ट ने नकारा

परिवादी की तरफ से तर्क रखे गए कि पुलिस ने मामले में चालान देरी से प्रस्तुत किया, इस वजह से उसे वाहन मालिक, चालक और बीमा कंपनी की जानकारी नहीं मिल सकी थी। उसे कानून की जानकारी भी नहीं थी कि प्रकरण छह माह के भीतर प्रस्तुत करना अनिवार्य है। न्यायाधीश पंकज यादव ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद क्लेम प्रकरण निरस्त कर दिया। एडवोकेट खान ने बताया कि मोटरयान अधिनियम में संशोधन के बाद संभवत: यह पहला मामला है जब कोर्ट ने किसी क्लेम प्रकरण को तय समय सीमा के बाद प्रस्तुत करने की वजह से निरस्त किया है।

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