इंदौर। इंदौर जिला न्यायालय परिसर में स्टांप की कालाबाजारी हो रही है। इंदौर अभिभाषक संघ के अध्यक्ष गोपाल कचोलिया ने बताया कि परिसर में कई स्टांप वेंडर 50 रुपये के स्टांप को 60, 70 रुपये में बेच रहे हैं। इसी तरह 100 रुपये का स्टांप 120, 130 रुपये में बेचा जा रहा है। इसके चलते पक्षकारों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
अभिभाषक संघ ने प्रधान जिला व सत्र न्यायाधीश, इंदौर कलेक्टर और जिला पंजीयक को इस संबंध में पत्र लिखा है। इसमें मांग की है कि जिला न्यायालय परिसर में स्टांप की कालाबाजारी करने वाले स्टांप वेंडरों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए। इंदौर जिला न्यायालय परिसर में डेढ़ दर्जन से ज्यादा स्टांप वेंडर हैं।
क्लर्क कालोनी एक्सटेंशन और इलेक्ट्रानिक काम्प्लेक्स को लेकर हाई कोर्ट में सुनवाई
इंदौर। क्लर्क कालोनी एक्टेंशन और इलेक्ट्रानिक काम्प्लेक्स की वैधता को लेकर हाई कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी है। पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने शासन से पूछा था कि क्यों न क्लर्क कालोनी और इलेक्ट्रानिक काम्प्लेक्स को अवैध घोषित कर दें। सरकार को इसी सवाल का जवाब सोमवार को देना है।
बगैर मौका मुआयना विकास कार्य को मान लिया पूर्ण
इस मामले में हाई कोर्ट में चल रही जनहित याचिका में कहा है कि तत्कालीन अधिकारियों ने कालोनाइजर को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से साठगांठ कर फर्जी शपथ पत्र स्वीकारा है। उन्होंने बगैर मौका निरीक्षण किए विकास कार्य को पूर्ण मान लिया और इसी आधार पर भूखंडों को बंधन मुक्त कर दिया गया। इसका लाभ उठाते हुए कालोनाइजर ने कमजोर आय वर्ग को दिया जाने वाले भूखंड भी बेच दिए। उपायुक्त सहकारिता ने भी जांच में गड़बड़ी की बात स्वीकारी थी।
शिकायत के बाद भी नहीं किया कालोनी का विकास
याचिका में कहा है कि अधिकारियों के इस कृत्य की वजह से शासन को बेशकीमती जमीन के राजस्व की हानि उठाना पड़ी। रहवासियों की शिकायत के बावजूद कालोनाइजर द्वारा विकास नहीं किया गया। याचिका में इंदौर टेक्सटाइल कर्मचारी गृह निर्माण सहकारी संस्था को भी पक्षकार बनाया गया है। हाई कोर्ट में यह याचिका एडवोकेट मनीष यादव और एडवोकेट अदिति यादव के माध्यम से दायर हुई है।
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