ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर हिंदू और मुस्लिम पक्ष के दावों पर देश भर में चर्चा गर्म है। शुक्रवार को हिंदू पक्ष की अर्जी पर वाराणसी की जिला अदालत ने मस्जिद का ASI से सर्वे कराने की मंजूरी दी थी। सोमवार सुबह सर्वे शुरू भी हो गया था, लेकिन मुस्लिम पक्ष की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने इस पर अंतरिम रोक लगा दी। अब बुधवार शाम 5 बजे तक सर्वे नहीं होगा। अदालत ने कहा कि शुक्रवार को ही जिला जज ने सर्वे को मंजूरी दी और सोमवार से यह शुरू भी हो गया। मुस्लिम पक्ष को अपील के लिए मौका तो मिलना ही चाहिए था। अदालत ने मुस्लिम पक्ष से इस मामले में अब हाई कोर्ट जाने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से पहले दोनों पक्षों की ओर से दिलचस्प दलीलें दी गईं।
मुस्लिम पक्ष के वकील ने हुजेफा अहमदी ने तो पूरे विवाद पर ही सवाल खड़ा कर दिया। हिंदू मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाए जाने का दावा रहा है। मस्जिद की इमारत और उसकी दीवारों के आधार पर भी हिंदू पक्ष ये दावे करता रहा है। इसी के आधार पर श्रृंगार गौरी की पूजा भी मस्जिद परिसर के ही एक हिस्से में की जाती है। अहमदी ने कहा, ‘यह मस्जिद 16वीं शताब्दी से खड़ी है। यहां तक कि आजादी के बाद से अब तक भी इसे लेकर कोई विवाद नहीं था।’ उन्होंने कहा कि इससे पहले हाई कोर्ट ने 2021 में ASI सर्वे के आदेश पर रोक लगा दी थी। अब ऐसा आदेश क्यों दिया गया है और यह हाई कोर्ट के फैसले के विपरीत है।
हुजेफा अहमदी ने कहा कि हाई कोर्ट जब तक इस मसले को नहीं सुन लेता है, तब तक के लिए सर्वे पर रोक लगनी चाहिए। इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि मौके पर क्या स्थिति है। इस पर तुषार मेहता ने कहा कि सर्वे के तहत एक ईंट भी हटाई नहीं गई है। वैज्ञानिक तरीके से सर्वे हो रहा है। फोटोग्राफी और अन्य तरीके ही अपनाए जा रहे हैं, खुदाई जैसी कोई प्रक्रिया नहीं हुई है। इस पर अदालत ने कहा कि फिलहाल सर्वे की प्रक्रिया को ही रोक दिया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने उच्च न्यायालय से भी कहा कि वह बुधवार तक इस मामले को सुन ले ताकि सर्वे पर अंतिम फैसला हो सके।
बता दें कि शुक्रवार को ही वाराणसी की जिला अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए ज्ञानवापी के सर्वे का आदेश दिया था। अदालत ने कहा था कि इसके लिए एक वैज्ञानिक सर्वे होना चाहिए, जिससे पता चले कि मस्जिद को मंदिर के ऊपर बनाया गया था या नहीं। इस पर मुस्लिम पक्ष ने सीधे सुप्रीम कोर्ट का ही रुख कर लिया। शीर्ष अदालत ने यह भी पूछा कि उच्च न्यायालय की बजाय आप सीधे यहीं क्यों आए। इस पर मुस्लिम पक्ष ने कहा कि हमारे पास समय कम था और सर्वे शुरू हो गया है। ऐसे में हम रोक की मांग के लिए यहीं आ गए हैं।
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