भोपाल मप्र माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) के सचिव श्रीकांत बनोठ द्वारा पत्र लिखे जाने के बावजूद अब तक आयुक्त लोक शिक्षण ने भोपाल डीईओ अंजनी कुमार त्रिपाठी पर कोई कार्रवाई नहीं की है। दरअसल, माशिमं की दसवीं-बारहवीं की पूरक परीक्षाएं चल रही है। बीते सोमवार को आयोजित परीक्षा में भोपाल के शिवाजी नगर में स्थित सरोजनी नायडू स्कूल को परीक्षा केंद्र बनाया गया था। लेकिन मंडल ने इस परीक्षा केंद्र को बदल दिया था। जिससे इस केंद्र पर पहुंचने वाले विद्यार्थियों को परीक्षा देने में परेशानी हुई। इन परीक्षा केंद्र के विद्यार्थियों का पेपर सुबह के बजाय परिवर्तित परीक्षा केंद्र में दोपहर में लिया गया था।
परीक्षा केंद्र में बदलाव को लेकर लापरवाही का ठीकरा डीईओ अंजनी कुमार त्रिपाठी ने माशिमं के अधिकारियों पर फोड़ा था। इस पर विगत गुरुवार को मंडल सचिव ने परीक्षा केंद्र को लेकर कहां, किस स्तर पर लापरवाही हुई, इसका सिलसिलेवार ब्यौरा देते हुए डीईओ त्रिपाठी के खिलाफ कार्रवाई के लिए आयुक्त लोक शिक्षण अनुभा श्रीवास्तव को पत्र लिखा था। साथ ही पत्र में तीन दिन में अनुशासनात्मक कार्रवाई कर अवगत कराने के लिए भी कहा था। लेकिन आयुक्त की तरफ से शनिवार तक कोई कार्रवाई नहीं की गई।
वहीं जबलपुर के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी घनश्याम सोनी की दो वेतनवृद्घि रोकी जाएंगी। इस संबंध में उपसचिव स्कूल शिक्षा ओएल मंडलोई ने बीते शुक्रवार को नोटिस जारी कर दिया है। यह वेतनवृद्घि एक प्रकरण में शासकीय अधिवक्ता से संपर्क न कर हाईकोर्ट में प्रकरण प्रस्तुत नहीं करने के कारण रोकी जा रही है।
यह था मामला
जानकारी के अनुसार प्राथमिक शिक्षक राजेंद्र लाडिय़ा ने निलंबन के बाद हाईकोर्ट में प्रकरण दायर किया था। जिसमें जबलपुर के प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को कोर्ट में जवाब प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी दी गई। उन्होंने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया। मामले में स्कूल शिक्षा विभाग के उप सचिव ओएल मंडलोई ने कार्रवाई करते हुए प्रभारी डीईओ जबलपुर घनश्याम सोनी को दो वेतनवृद्घि रोके जाने का नोटिस जारी किया है। प्राचार्य एवं व्याख्याता संघ के प्रांताध्यक्ष मुकेश शर्मा का कहना है कि स्कूल शिक्षा विभाग में निचले क्रम के अधिकारी समय पर न्यायलयीन प्रकरणों के संबंध में कार्रवाई नहीं करते है। जिस कारण वरिष्ठ अधिकारियों को विपरीत परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। कुछ दिन पहले ग्वालियर हाईकोर्ट में भी इस तरह की स्थिति निर्मित हुई थी। व्याख्याता संवर्ग द्वारा भी 592 व्याख्याताओं ने 2021 में न्यायालय में वेतन विसंगति के संबंध में अपील दायर की थी। जिसका जवाब आज दिनांक तक नहीं दिया गया है। व्याख्याता संवर्ग द्वारा भी न्यायालय में विभाग के जवाब देने के अधिकार को समाप्त करते हुए एकतरफा निर्णय लेने का अनुरोध किया है।
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