शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण को लेकर गहराया विवाद

बिलासपुर। शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में आरक्षण को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। मामला छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट पहुंच गया है। याचिकाकर्ताओं ने राज्य शासन द्वारा सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया काे फैसले से बाधित रखा है।

कामेश्वर कुमार यादव, योगेन्द्र मनी वर्मा एवं अन्य ने अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव के जरिए छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में याचिका दायर कर राज्य शासन द्वारा राज्य में आरक्षण व्यवस्था को लेकर सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। याचिका के अनुसार राज्य शासन ने शिक्षक के टी-संवर्ग के 4 हजार 659 पद एवं ई- संवर्ग के 1 हजार 113 पदों की भर्ती हेतु चार मई 2023 को विज्ञापन जारी किया है। जिसमें सहायक शिक्षक पद के लिए आवेदन आमंत्रित किया गया। याचिका के अनुसार छग लोक सेवा (अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) नियम 1994 के तहत तृतीय एवं चतुर्थ वर्ग पदों के लिए अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत,अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है। भर्ती प्रक्रिया में राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति को 65 प्रतिशत से अधिक आरक्षण दिया गया है। याचिकाकर्ताओं ने आरक्षण व्यवस्था को लेकर कहा है कि राज्य शासन द्वारा वर्ष 2011 में 50 से 58 प्रतिशत आरक्षण को बढ़ाने की अधिसूचना को भी छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला

याचिकाकर्ताओं ने प्रदेश में आरक्षण को लेकर जारी विवाद और भर्ती सहित पदोन्नति प्रक्रिया अटकने के कारण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई व्यवस्था का हवाला दिया है। याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने केवल लंबित विज्ञापनों को 58 प्रतिशत आरक्षण के आधार पर भर्ती व पदोन्नति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया है। लिहाजा नये विज्ञापन में पद पूर्व नियम से ही आरक्षित किये जायेंगे। अनुसूचित जाति को 16 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति को 20 प्रतिशत एवं अन्य पिछड़ा वर्ग को 14 प्रतिशत कुल 50 प्रतिशत आरक्षण दिया जाना है।

यह व्यवस्था निर्देशों का उल्लंघन है

याचिका के अनुसार शिक्षक भर्ती के लिए राज्य शासन द्वारा जारी किए गए विज्ञापन में अनुसूचित जाति को 65 प्रतिशत से अधिक आरक्षण शिक्षक एवं सहायक शिक्षक के पद पर दिया गया है। जिससे अन्य वर्गों का हित प्रभावित हो रहा है।

शासन के जवाब पर अधिवक्ता ने उठाए सवाल

राज्य शासन की ओर से पैरवी करते हुए महाधिवक्ता कार्यालय के विधि अधिकारियों ने कोर्ट को बताया कि

कुछ बैकलाग पद जुड़े होने के कारण इस प्रकार का आरक्षण किया गया है। जिस पर याचिकाकर्ता के अधिवक्ता अजय श्रीवास्तव ने सवाल उठाया कि विज्ञापन में कितने पद बैकलाग के है एवं किस वर्ग के हैं यह नहीं बताया गया। अधिवक्ता श्रीवास्तव ने नियमों का हवाला देते हुए कहा कि यदि बैकलाग पद है तो उसे विज्ञापन में अधिसूचित जाना आवश्यक है। किंतु बिना किसी विवरण के राज्य शासन द्वारा अनुसूचित जनजाति को नियम विरूद्ध आरक्षण नहीं दिया जा सकता। मामले की सुनवाई जस्टिस पी सैम कोशी के सिंगल बेंच में हुई। मामले की सुनवाई के बाद जस्टिस कोशी ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को अपने आदेश से बाधित रखा है।

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