भोपाल। पटवारी भर्ती परीक्षा में गड़बड़ी के आरोप लगने के बाद बुधवार को कर्मचारी चयन मंडल (ईएसबी) में सन्नाटा छाया रहा। यहां परिसर में प्रवेश करने वालों से सघन पूछताछ के बाद अंदर जाने दिया गया। हालांकि इतना सब कुछ होने के बाद भी जिम्मेदार अधिकारी अनजान बने रहे। कई बार फोन लगाने के बाद भी नहीं उठाया। स्कूल शिक्षा एवं सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री इंदर सिंह परमार से हकीकत पूछने के लिए बात करने पर वह फोन उठाने से बचते रहे। उनके निजी सहायक ने फोन उठाया और कहते रहे कि मंत्रीजी बैठक में हैं। पलटकर फोन भी नहीं आया। जबकि एसीएस एवं ईएसबी के चेयरमैन मलय श्रीवास्तव ने इसमें गड़बड़ी होने से साफ इंकार कर दिया। उनका कहना है कि परीक्षाएं पूरी पारदर्शिता के साथ हुई हैं। इसमें कोई गडबड़ी नहीं हुई।
बता दें कि हाल में ही आयोजित पटवारी परीक्षा के दौरान धांधली होने का आरोप है। इसमें शिकायतकर्ता रंजीत किसानवंशी ने आरोप लगाया कि एक ही केंद्र के सात अभ्यर्थी कैसे टाप टेन में आ सकते हैं। वहीं, इस केंद्र से 114 अभ्यर्थियों का चयनित होना भी सवालों के घेरे में है। रंजीत ने ग्वालियर के एनआइआइ कालेज में हुई परीक्षा में अभ्यर्थियों के शामिल होने पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने बताया कि एक युवती, जो बालाघाट की है बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा जिलों में पटवारी परीक्षा दे सकती थी, लेकिन उसे 650 किलोमीटर दूर केंद्र आवंटित किया गया। वह टाप टेन में आई है। इसी तरह टाप-10 में आने वाले अधिकतर छात्रों ने अंग्रेजी में टाप किया है, लेकिन उन्होंने हस्ताक्षर की जगह हिंदी में नाम लिखा है। इसमें लिखावट भी एक जैसी है।
यहां भी उठ रहे सवाल
जिन सात अभ्यर्थियों को टाप-10 की सूची में रखा गया है, वे चाहते तो अंकों के आधार पर पटवारी की अपेक्षा अन्य बेहतर सेवाओं का चयन कर सकते थे। इसमें वेतन व पद दोनों अधिक मिलता। टाप करने के बाद भी इन सातों अभ्यर्थियों ने पटवारी का चयन ही क्यों किया।
बदनामी से बचने तीन बार बदला संस्थान का नाम
ईएसबी पहले व्यावसायिक परीक्षा मंडल यानि व्यापमं के नाम से जाना जाता था, लेकिन व्यापमं घोटाला सामने आने के बाद इस संस्थान का नाम पीईबी यानी प्रोफेशनल एक्जामिनेशन बोर्ड कर दिया गया था। इसके बाद भी गड़बड़ियां सामने आती रहीं। इसकी वजह से एक बार फिर नाम बदलकर मध्य प्रदेश कर्मचारी चयन मंडल यानी ईएसबी रखा गया। नाम बदलने के बावजूद अधिकारियों की कार्यशैली में बदलाव नहीं आया। तीन बार नाम बदलने के बाद भी गड़बड़ियां रुकने का नाम नहीं ले रही हैं।
शिक्षक भर्ती में ब्लैक लिस्टेड होने के बाद भी उसी कंपनी को दिया काम
विगत वर्ष 2022 में शिक्षक भर्ती वर्ग-3 की परीक्षा में भी फर्जीवाड़ा सामने आया था। इसमें एनीडेस्क के जारिए स्क्रीन शेयर कर फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया था, तब भी यही ब्लैक लिस्टेड परीक्षा एजेंसी थी। पटवारी परीक्षा के दौरान ग्वालियर, मुरैना, सागर के कुछ संदिग्ध पकड़े गए थे जो पैसा लेकर थंब क्लोन बनाकर फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे थे।
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ऐसे दिया जा सकता है फर्जीवाड़े को अंजाम
1. परीक्षा सेंटर में जैमर नहीं लगे थे। ऐसे में सर्वर हैक कर स्क्रीन शेयरिंग की जा सकती है। इससे मनचाहे अभ्यर्थियों को फायदा पहुंचाया जा सकता है।
2. अभ्यर्थियों को प्रश्नपत्र या फिर उत्तर पुस्तिका पहले दे दी गई हो, जिससे लोगों ने पहले से तैयारी कर ली हो। यही वजह है कि सभी टापरों के नंबर आसपास आए हैं।
3. ऐसा भी हो सकता है कि मूल अभ्यर्थी की जगह कोई और ने परीक्षा दी हो। इसीलिए इन्होंने अभ्यर्थियों के हस्ताक्षर करने की बजाय सीधे हिंदी में नाम लिखा होगा।
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पटवारी भर्ती को लेकर लगे आरोप
1. इएसबी द्वारा जो टाप 10 छात्रों की लिस्ट जारी की गई, उसमें सात छात्र वे हैं, जिनका परीक्षा सेंटर एनआरआइ कालेज ग्वालियर था। यह भाजपा विधायक से संबंधित कालेज बताया जा रहा है।
2. जो टापर एनआरआइ कालेज से हैं, वह रोल नंबर 24887991 से 24889693 के बीच आने वाले 17 छात्रों में से हैं। जबकि यहां परीक्षा लगभग 14 लाख लोगों ने दी। ऐसे में एक ही परीक्षा सेंटर के 1700 छात्रों में से ही सारे टापर कैसे आ गए।
3. ईएसबी द्वारा गलती से जिन प्रश्नों के गलत उत्तर दे दिए, जिन्हें बाद में हटा दिया गया। उन्हीं गलत विकल्पों का जो ईएसबी द्वारा दिए गए इन अभ्यर्थियों द्वारा चयन कैसे किया गया।
4. परीक्षा जिस एजेंसी से कराई जा रही है, वह कंपनी केंद्र सरकार द्वारा ब्लैक लिस्ट है फिर भी ईएसबी ने इसको टेंडर दिया।
पटवारी भर्ती परीक्षा शासन के नियमानुसार आयोजित की गई है। इसमें पारदर्शिता का पूरा ध्यान रखा गया है। परीक्षा के दौरान गड़बड़ी के आरोप निराधार हैं।
– मलय श्रीवास्तव, अध्यक्ष कर्मचारी चयन बोर्ड मप्र
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