इंदौर। सड़क हादसे में जान गंवाने वाले निजी कंपनी के कर्मचारी के स्वजन को इंदौर जिला न्यायालय ने 39 लाख रुपये बतौर मुआवजा दिलवाए। बीमा कंपनी ने यह कहते हुए अपनी जिम्मेदारी से बचने की कोशिश की थी कि वेतन पर्ची प्रस्तुत नहीं की गई है। कोर्ट ने कहा कि वेतन एनइएफटी (नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड्स ट्रांसफर) से दिया जाता था, इसलिए अलग से वेतन पर्ची की आवश्यकता नहीं।
निजी कंपनी के कर्मचारी पैडमी निवासी गुलाब सिंह की एक जनवरी 2019 को हुए हादसे में मृत्यु हो गई थी। वे पीपल्याहाना चौराहे से गुजर रहे थे कि ट्रक एमपी 09 एचजी 9577 के चालक ने उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। मृतक की पत्नी, पुत्र और माता-पिता ने एडवोकेट किशोर गुप्ता के माध्यम से ट्रक का बीमा करने वाली बीमा कंपनी के विरुद्ध मुआवजे का प्रकरण पेश किया।
बीमा कंपनी ने कहा- वेतन पर्ची पेश नहीं की
तर्क रखा कि गुलाब सिंह परिवार के इकलौते कमाने वाले थे। उन्हें 18500 रुपये मासिक वेतन मिलता था। इस वेतन का भुगतान कंपनी एनइएफटी के माध्यम से करती थी। बीमा कंपनी की ओर से तर्क रखा गया कि वेतन सिद्ध करने के लिए वेतन पर्ची पेश करना होती है, लेकिन प्रकरण में वेतन पर्ची पेश नहीं हुई है।
दो माह में करना होगा मुआवजे का भुगतान
न्यायालय ने परिवादी की ओर से प्रस्तुत तर्क से सहमत होते हुए बीमा कंपनी को आदेश दिया कि वह मृतक के स्वजन को 39 लाख 38 हजार रुपये का भुगतान करे। इस राशि पर छह प्रतिशत की दर से ब्याज भी देना होगा। मुआवजे का भुगतान दो माह में नहीं किया गया तो ब्याज की दर नौ प्रतिशत हो जाएगी।
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