भोपाल। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और संविदा कर्मचारियों के बाद सरकार अब चुनावी वर्ष में आशा कार्यकर्ताओं को साधने के लिए पंचायत बुला सकती है। आशा कार्यकर्ता राज्य सरकार से उन्हें प्रतिमाह 10 हजार नियत मानदेय देने की मांग कर रही हैं। अभी उन्हें सिर्फ प्रोत्साहन राशि मिलती है, जिसमें दो हजार रुपये नियत है।
चुनावी वर्ष में अपनी मांगें मनवाने के लिए आशा कार्यकर्ताओं के चार संगठनों ने एकजुट होकर महासंघ बना लिया है। इनकी जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज चिंह चौहान से भेंट होगी। इसमें पंचायत बुलाने की तारीख निर्धारित हो सकती है।
कई बार धरना-प्रदर्शन के बाद अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि नियत मानदेय देने के लिए शासन काे प्रस्ताव भेजा गया है, पर अभी तक इस पर कोई कार्यवाही नहीं होने से उनमें जबरदस्त नाराजगी है। प्रदेश में इनकी संख्या 75 हजार है। यह लगभग आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के बराबर ही है। ऐसे में चुनावी वर्ष में सरकार इन्हें खुश करने के लिए नियत मानदेय देने की घोषणा कर सकती है।
आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, सिक्किम सहित कई राज्यों में प्रोत्साहन राशि के साथ ही राज्य सरकार की ओर से निश्चित मानदेय दिया जाता है, पर मध्य प्रदेश में ऐसा नहीं है। कुछ महत्वपूर्ण सेवाओं के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मद से आशा कार्यकर्ताओं को लगभग 1500 रुपये प्रतिमाह प्रोत्साहन राशि मिलती थी।
इसमें 500 रुपये की वृद्धि कर दो हजार रुपये प्रदेश में नियत किया गया है, पर इससे वह खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि इसमें तो उन्हें मिलने वाली प्रोत्साहन राशि को ही नियत किया गया है। कार्यों का लक्ष्य पूरा नहीं होने पर इसमें कटौती कर ली जाती है। उनकी मांग है कि जिस तरह अन्य राज्य सरकारें अपने बजट से मानदेय दे रही हैं, वैसे ही प्रदेश में निर्धारित होना चाहिए।
इनका कहना है
कई राज्यों ने अपने मद से मानदेय नियत कर दिया है। यहां हमें सिर्फ आश्वासन मिलता रहा है। जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण कार्य आशा करती हैं। ऐसे में सरकार से मांग है कि पंचायत बुलाकर प्रतिमाह 10 हजार रुपये मानदेय की घोषणा मुख्यमंत्री करें।
लक्ष्मी कौरव, अध्यक्ष, मप्र आशा एवं आशा सहयोगिनी श्रमिक संघ
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