इंदौर। राजवाड़ा का मल्हारी मार्तंड मंदिर शिव भक्तों के बीच आस्था का केंद्र है। यहां लोकमाता अहिल्या द्वारा स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों की पिंडियों के दर्शन भक्तों को होते हैं। यहां मराठी भाषी बड़ी संख्या में दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। श्रावण मास में होलकर कालीन परंपरा के अनुसार विभिन्न अनुष्ठान भी किए जाते हैं।
मंदिर का इतिहास
मंदिर करीब 250 वर्ष पुराना है। देवी अहिल्याबाई ने 1767 से 29 वर्ष तक इंदौर सूबे की बागडोर संभाली थी। इस दौरान उन्होंने चारों दिशाओं में धार्मिक यात्राएं कीं। चित्र में उनके हाथों में नजर आने वाला शिवलिंग भी मंदिर में स्थापित है। बालू से निर्मित इस शिवलिंग पर सोने की परत है। उनकी मुहर, भाला, कटार, निशानी, स्वर्ण छड़ी भी यहां रखी है।
विशेषता
शहर में यह एकमात्र ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है जहां 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन होते हैं। स्थापना उनके हाथों हुई जिन्होंने अपने शासन का हर कार्य शिव आर्डर यानी शिव का आदेश मानकर किया। यहां वर्षभर महादेव के पूजन के विभिन्न अनुष्ठान होते हैं। देवी अहिल्याबाई के जीवनकाल की प्रमुख जानकारी भी मंदिर में लगे विभिन्न चित्रों के माध्यम से मिलती है।
शिव की अनन्य भक्त थीं अहिल्याबाई
देवी अहिल्या ने कई धार्मिक यात्राएं की। इस दौरान उन्होंने 17 मंदिर में दान-धर्म, 11 धर्मशालाएं विभिन्न हिस्सों में बनवाने के साथ ही जगह-जगह कुएं-बावड़ियां भी बनवाई। वे शिव की अनन्य भक्त थीं। यहां श्रावण मास में विभिन्न आयोजन होते हैं। – पं. लीलाधर वारकर गुरुजी, होलकर परिवार के पुजारी
होलकर कालीन परंपरा अनुसार होता है पूजन
महाराष्ट्रीयन श्रावण मास में यहां शिव भक्ति का उल्लास देखते ही बनता है। होलकर कालीन परंपरानुसार पूजन होता है। इसमें प्रतिदिन रुद्राभिषेक, पार्थिव पूजन जैसे आयोजन होते हैं। दर्शन-पूजन के लिए भक्तों का आवागमन बना रहता है। -शोभा कागदे, भक्त
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