भोपाल। प्रदेश के 625 बीएड कालेजों के लिए प्रवेश प्रक्रिया 25 मई से जारी है। अब तक एनसीटीई के सभी पाठ्यक्रमों में अकेले बीएड के लिए पहले चरण में सवा लाख से अधिक पंजीयन हुए है। वहीं दस्तावेजों का सत्यापन भी करीब 83 हजार आवेदकों का हो चुका है। दो चरण की काउंसलिंग के बाद बीएड की 58 हजार सीटों में से 30 हजार ने प्रवेश लिया है। अब भी 28 हजार सीटें खाली हैं। विद्यार्थियों ने जितनी तेजी से पंजीयन कराए हैं, उसके मुकाबले बहुत कम विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है।
दूसरे चरण में बीएड में सिर्फ नौ हजार प्रवेश हुए हैं। दूसरे चरण में ज्यादा विद्यार्थियों ने उत्सुकता नहीं दिखाई है। अब कालेजों को तीसरे चरण की काउंसलिंग से उम्मीद है। हालांकि विभागीय अधिकारियों का कहना है कि अभी कई विश्वविद्यालयों ने स्नातक तृतीय वर्ष का परिणाम जारी नहीं किया है। इस कारण भी विद्यार्थी कम संख्या में प्रवेश ले रहे हैं। साथ ही अपनी पसंद के कालेज मिलने की आस में भी विद्यार्थी सीट खाली होने के इंतजार में हैं।
तीसरे राउंड में 1.26 लाख ने पसंद के कालेज का विकल्प दिया
बीएड सहित एनसीटीई के नौ पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए तीसरा राउंड भी चल रहा है। इसमें 42891 नए पंजीयन के साथ करीब 1.26 लाख विद्यार्थियों ने पसंद के कालेज का विकल्प दिया है और 38967 ने सत्यापन कराया है। वहीं दूसरे चरण में 29,447 सीटों का आवंटन किया गया था। इसमें से बीएड में ही कुल 25,346 सीटें आवंटित की गई थीं। दूसरे राउंड में 9989 विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। पहले चरण में बीएड में कुल 44 हजार विद्यार्थियों को सीटें अलाट की गई थीं। इसमें से 20 हजार विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया था। इस तरह अभी तक करीब 32 हजार विद्यार्थियों ने बीएड सहित विभिन्न कोर्सेस में प्रवेश लिया है।
सात कालेजों में जीरो प्रवेश
एसवीएन कालेज छतरपुर, राधाकृष्ण कालेज दतिया, हिंदुस्तान कालेज आफ टीचर्स एजुकेशन ग्वालियर, टेक्सेस एजुकेशन कालेज ग्वालियर, लिवरल कालेज आफ एजुकेशन इंदौर, महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय कटनी और रानी कालेज आफ एजुकेशन रीवा में प्रथम चरण की काउंसलिंग में जीरो प्रवेश हुए हैं। इन कालेजों में दूसरे चरण की काउंसलिंग में भी प्रवेश लेने के लिए विद्यार्थी पंजीयन कराने में उत्सुक दिखाई नहीं दे रहे हैं।
परिणाम में देरी भी बनी समस्या
प्रदेश के कई विश्वविद्यालय अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के परिणाम जारी नहीं कर सका है। इसके अलावा कई विवि तो अभी तक अंतिम वर्ष की परीक्षाएं कराने में लगे हुए हैं। अब परिणाम के अभाव में विद्यार्थी प्रवेश लेना नहीं चाहते हैं। हालांकि विभाग ने उनकी समस्या को देखते हुए द्वितीय वर्ष की मार्कशीट के आधार पर प्रवेश देने की व्यवस्था दी है।
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