इटारसी: मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले के सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (एसटीआर) के कोर एरिया में 26 जून को क्षत-विक्षत हालत में मिले बाघ का शिकार किया गया था। शिकारी इस बाघ का सिर काटकर ले गए थे। जांच के बाद वन विभाग ने गुरुवार को शिकार की बात स्वीकारी है।
यह सतपुड़ा टाइगर रिजर्व का पहला और संभवत: मध्यप्रदेश का भी पहला मामला है जब किसी बाघ का सिर गर्दन से काटकर ले जाया गया हो। ऐसे में बाघ की खोपड़ी से तंत्र क्रिया किए जाने, दांतों की तस्करी से लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेहद दुर्लभ सिर की ट्राफी तक बनाकर तस्करी की आशंका है।
प्रदेश के जंगलों में इससे पूर्व बाघों मूंछ और पूंछ के बाल काटने सहित नाखून उखाड़ने और ऐसा करने के लिए पंजे काटने के मामले सामने आ चुके हैं। 26 जून को एसटीआर चूरना की डबरा देव बीट में बाघ का शव ऐसे समय मिला है जहां इन दिनों बायसन विस्थापन के सिलसिले में अधिकारी डेरा डाले हुए हैं। ऐसे संवेदनशील कोर एरिये में शिकारियों की पहुंच और बाघ का शिकार करने के बाद उसकी गर्दन काटने का मामला सुरक्षा के तमाम दावों पर सवाल खड़े कर रहा है।
तंत्र- मंत्र की आशंका
बाघ का सिर काटने के पीछे अधिकारियों ने तंत्र-मंत्र प्रयोग में शामिल ग्रामीणों और शिकारी गिरोह की भूमिका होने की आशंका जताई है। बाघ के शिकारियों को दबोचने के लिए दल बनाकर जंगलों में छानबीन की जा रही है। टाइगर स्ट्राइक फोर्स भी मामले की जांच कर रही है।
सूत्रों के अनुसार जंगल से सटे भातना समेत कुछ गांवों के लोगों से पूछताछ की जा रही है, जहां इस मामले के संदिग्धों के होने की आशंका है। वनकर्मियों के अनुसार बाघ लगातार इस क्षेत्र में मूव्हमेंट कर रहा था, आशंका है कि जंगल में सक्रिय शिकारी गिरोह इस बाघ का पीछा कर रहा था, मौका पाकर बाघ को मार दिया गया।
इसके बाद उसकी गर्दन काटकर बाकी शव जंगल में छोड़ दिया गया। वन अमले ने डाग स्क्वाड को भी भेजा था, लेकिन तब कोई सुराग हाथ नहीं आया। पोस्टमार्टम के बाद शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया था। उपसंचालक संदीप फैलोज का कहना है कि एसटीआर में गर्दन काटकर बाघ के शिकार का यह पहला मामला है, इसमें प्रारंभिक आशंका तंत्र-मंत्र की है, इसके अलावा अन्य कारण भी हो सकते हैं जिसका पता शिकारियों के पकड़े जाने पर पता चल सकेगा।
इस मामले में एसटीआर के क्षेत्र संचालक एल कृष्णमूर्ति ने बताया कि बाघ शिकार के मामले में संयुक्त टीम बनाकर जांच कर रही है, जल्द ही शिकारियों का पता लगाया जाएगा।
पांच माह पहले खाल के साथ पकड़े गए शिकारी
कुछ माह पूर्व भी एसटीआर के बाघ शिकार मामले में एसटीएफ ने बैतूल और छिंदवाड़ा से पांच लोगों को गिरफ्तार कर बाघ की खाल बरामद की थी, इस गिरोह में एक शख्स शिक्षक था। टीम ने छिंदवाड़ा जिले के एक ओझा महेश सूर्यवंशी को गिरफ्तार किया था, इसके पास से बाघ की खाल बरामद हुई थी। इस गिरोह ने बताया था कि बाघ की खाल से तांत्रिक क्रिया कर नोटों की वर्षा के लालच में यह षडयंत्र रचा गया था।
इनका कहना है
जिस जगह बाघ का शव मिला है वह जगह कोर एरिया है। इस जगह तक बैतूल मार्ग के भौंरा कीसे पहुंचने के लिए 80 किमी तो पचमढ़ी की ओर से वन में पगडंडी पर ही पैदल 30 किमी से अधिक चलना पड़ेगा। बेहद गहन वन में बाहरी शिकारियों का पहुंचना मुश्किल हैं। ऐसे में इस अपराध में स्थानीय ग्रामीणों की संलिप्तता होने की आशंका ज्यादा है।
आरके दीक्षित, सेवानिवृत्त डीएफओ एवं वन्य प्राणी विशेषज्ञ
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