ग्वालियर। गर्मी से राहत पाने के लिए कच्चे आम की मांग बढ़ गई है। जून में तपती गर्मी से राहत पाने के लिए कच्चे आम की मांग तेजी से बढ़ी है। क्योंकि कच्चे आम का अचार और उसका शरबत व पनाा बनाकर पीना सेहत के लिए अच्छा है। लू,तेज धूप, गर्मी से आम का पना और शरबत राहत दिलाने का काम करता है। आम का शरबत व पना पीने से शरीर में विटामिन सी की मात्रा बढ़ती है जो शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने का काम करती है। आम का अचार पूरे साल भोजन के साथ स्वाद देता है और विटामिन सी की आपूर्ति करता है।
विटामिन सी के अलावा कई तरह की पोषक तत्व आम में मौजूद रहते हैं।इस बार गर्मी के मौसम में आम की ज्यादा वैरायटी बाजार में नहीं देखी गई। क्योंकि अप्रैल मई में बे मौसम बारिश ने ठंडक ला दी। वातावरण में गर्मी न रहने से आम की फसल को भी नुकसान हुआ है और मांग भी कम रही है। बाजार में शुरूआत में बादामी आम आया जो अब जाने वाला है। उसके बाद दशहरी व तोतापरी आम भी आया।
तोतापरी आम की आवक बंद हो चुकी है जबकि दशहरी आम आ रहा है पर इसकी विक्री बादामी के मुकाबले कम है। हापुस आम का शौक रखने वालों के लिए आपलाइन बाजार किफायती साबित हो रहा है। क्योंकि आनलाइन बाजार में हापुस का दाम 800 रुपये प्रति दर्जन से शुरू होता है और 2 हजार रुपये दर्जन तक बिक रहा है। जबकि आफ लाइन बाजार में थोक में दाम 400 रुपये से लेकर 600 रुपये तक है।
थोक विक्रेता बताते हैं कि हापुस का आम खाने वालों की संख्या कम है। इसलिए बाजार में कम ही लोग मंगवाते है। क्योंकि लोग आनलाइन खरीद कर लेते हैं।जबकि आनलाइन से आफ लाइन आम के दाम कम हैं।लोग बादामी और दशहरी व लंगड़ा-चौसा जैसे आम भले ही दुकानें से खरीदें पर हापुस का आनलाइन बाजार तेजी से बढ़ा है। दुकानदार भी हापुस जैसा महंगा आम कम ही मंगवा रहे है। थोक विक्रेताओं का कहना है कि यह आम के सीजन का आखिरी वक्त चल रहा है। तोता परी आम की आवक बंद हो चुकी है जबकि बदामी आम भी चंद दिनाें का मेहमान बचा है। इस बार मौसम में रही ठंडक से आम का बाजार भी ठंडा रहा है।
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