भोपाल। महंगाई भत्ता बढ़ाने की मांग कर रहे कर्मचारियों को मध्य प्रदेश सरकार 42 प्रतिशत की दर से भत्ता दे सकती है। यह वृद्धि जून के वेतन, जो जुलाई में मिलेगा, से दी जा सकती है। वित्त विभाग ने अपने स्तर पर इसकी तैयारी कर ली है।
इस संबंध में अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान लेंगे। अभी कर्मचारियों को 38 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। जबकि, केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों को 42 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता दे रही है। जुलाई में इसमें फिर वृद्धि प्रस्तावित है, इसलिए राज्य सरकार भी तैयारी में जुट गई है।
प्रदेश में नियमित, अध्यापक और पंचायतकर्मियों को मिलाकर साढ़े सात लाख कर्मचारी हैं। सातवां वेतनमान प्राप्त कर्मचारियों को जनवरी 2023 से 38 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। जबकि, केंद्र सरकार इस अवधि में 42 प्रतिशत के हिसाब से भत्ता दे रही है।
छठवां वेतनमान प्राप्त कर्मचारियों को एक जनवरी से 212 प्रतिशत की दर से महंगाई भत्ता मिल रहा है। कर्मचारी संगठन काफी समय से केंद्रीय कर्मचारियों की तरह महंगाई भत्ता देने की मांग कर रहे हैं।
इसके लिए बजट में प्रविधान भी किया गया है। पिछले माह महंगाई भत्ता बढ़ाए जाने की संभावना थी लेकिन सरकार ने निर्णय नहीं लिया है। जबकि, केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में जुलाई में फिर वृद्धि संभावित है। इससे कर्मचारियों में नाराजगी बढ़ सकती है। इसे देखते हुए महंगाई भत्ता बढ़ाने की तैयारी की है।
पेंशनर को फिलहाल नहीं मिलेगा लाभ
सरकार यदि कर्मचारियों का महंगाई भत्ता और पेंशनर की महंगाई राहत में वृद्धि का निर्णय कर भी लेती है तो भी पेंशनर को फिलहाल उसका लाभ नहीं मिलेगा। अभी प्रदेश के साढ़े चार लाख से अधिक पेंशनर को 33 प्रतिशत की दर से महंगाई राहत मिल रही है।
इसमें पांच प्रतिशत की वृद्धि के लिए सरकार निर्णय ले चुकी है पर छत्तीसगढ़ सरकार ने सहमति नहीं दी है। दरअसल, राज्य पुनर्गठन अधिनियम की धारा 49 के अनुसार महंगाई राहत में वृद्धि के लिए दोनों राज्यों के बीच सहमति होना चाहिए क्योंकि इसका वित्तीय भार दोनों राज्यों पर पड़ता है।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.