सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi) का बहुत अधिक महत्व माना जाता है। इस व्रत को महिलाएं अपने पति व संतान की सलामती और लंबी आयु की कामना के लिए रखती हैं। हर माह में पड़ने वाली चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) कहा जाता है। वहीं आषाढ़ माह में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी (Krishna Pingal Sankashti Chaturthi) के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं कब से शुरू हो रहा आषाढ़ माह और कब है संकष्टी चतुर्थी
इस साल कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी पर नहीं दिखेगा चांद
कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
– संकष्टी चतुर्थी के दिन प्रातःकाल सूर्योदय से पूर्व स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
– इसके बाद प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाएं और फिर धूप-दीप प्रज्वलित करें।
– गणेश जी दूर्वा, हार, अक्षत, लाल चंदन चढ़ाएं।
– उन्हें प्रसाद में फल एवं मोदक चढ़ाएं और फिर गणेश जी की चालीसा का पाठ करें।
– इस दिन संकष्टी व्रत की कथा अवश्य सुननी चाहिए।
– चंद्रोदय होने पर चंद्रमा को जल चढ़ाकर पूजा करें और फिर व्रत का पारण करें।
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