शहर में बढ़ा को-वर्क स्पेस कल्चर

ग्वालियर। को-वर्क स्पेस कल्चर, यानि कामन वर्क स्पेस…जिसका मतलब है- एक ही छत के नीचे बैठकर तमाम इंडस्ट्री, कंपनीज से जुड़े अलग-अलग प्रोफेशनल्स एक साथ काम करते हैं। अभी तक यह कल्चर सिर्फ मुंबई, दिल्ली, नोएडा, बेंगलुरू, पुणे जैसे बड़े शहरों में ही था, लेकिन ग्वालियर में को-वर्क स्पेस कल्चर तेजी से बढ़ा है। यही वजह है- शहर के बड़े बिल्डर्स से लेकर बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनीज भी को-वर्क स्पेस तैयार कर रही हैं। शहर में को-वर्क स्पेस की डिमांड कोविड काल के बाद से अधिक बढ़ी है। शहर के सिटी सेंटर, रेसकोर्स रोड और आसपास के इलाकों में तेजी से अब को-वर्क स्पेस डेवलप हो रहे हैं। शहर में अभी तक कुछ ही जगह को-वर्क स्पेस उपलब्ध था, लेकिन बढ़ती डिमांड को देखते हुए शहर में कार्पोरेट आफिस तैयार करने वाले बिल्डर अब को-वर्क स्पेस पर ज्यादा फोकस कर रहे हैं। पढ़िए…क्या है को-वर्क स्पेस कल्चर, किस तरह बड़ी कंपनियों के लिए मुफीद और किफायती है यह कल्चर, प्रोफेशनल्स को क्यों पसंद आ रहा यह ट्रेंड।

को-वर्क स्पेस कल्चर

इसमें एक ही आफिस में अलग-अलग कंपनियां, पेशे से जुड़े प्रोफेशनल्स को रेंट पर सीट्स और स्कवायर फीट के हिसाब से आफिस उपलब्ध कराया जाता है। इसमें एक सीट को भी रेंट पर लिया जा सकता है। इसमें जो लोग काम करते हैं, वह अलग-अलग फील्ड से जुड़े होते हैं। एक ही हाल में कई लोग एक साथ आफिस टाइमिंग में बैठते हैं। इन्हें आफिस के ओनर द्वारा डेस्क, इंटरनेट कनेक्शन, चेयर, लाकर, प्रिंटर, स्कैनर, सेपरेट वाशरूम, काफी, चाय, पानी, आफिस ब्वाय, सेंट्रलाइज्ड एसी, कांफ्रेंस रूम, मीटिंग हाल एवं अन्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जाती हैं। इसके साथ ही अब बायोमैट्रिक्स भी उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसमें अलग-अलग कंपनी के कर्मचारियों के डिटेल उनके फिंगरप्रिंट सेव होते हैं।

स्टार्टअप्स और बड़ी कंपनियों ने रेंट पर लिए को-वर्क स्पेस

शहर से जो स्टार्टअप्स चल रहे हैं, उनके आफिस में काम करने वाले कर्मचारी सबसे ज्यादा को-वर्क स्पेस में काम करते हैं। इन्हें अटेंडेंस लगाने की समस्या भी नहीं होती, क्योंकि यहां बायोमैट्रिक मशीन उपलब्ध होती है। इसी तरह देश की बड़ी कंपनियां जिनके कर्मचारी ग्वालियर में रहकर वर्क फ्राम होम कर रहे हैं, इन्हें बेहतर काम करने का माहौल देने के लिए कंपनियों ने पर सीट के हिसाब से को-वर्क स्पेस रेंट पर लिए हुए हैं।

आखिर क्यों बढ़ा कल्चर, इससे कंपनियों को क्या फायदा

पंचवटी वस्त्र नगर में सार्टेड स्कवायर को-वर्क स्पेस के संचालक आकाश अरोरा बताते हैं कि उनके पास अभी 80 सीट का को-वर्क स्पेस है। जो फुल है। कोविड काल के बाद से वर्क फ्राम होम का कल्चर बढ़ा। तब को-वर्क स्पेस प्रचलन में आया। इसके बाद जब कंपनियों का आफिस पर होने वाला भारी भरकम खर्च बचने लगा तो कंपनियों ने इसे चुना। अब कंपनियां अलग-अलग शहरों में को-वर्क स्पेस रेंट पर लेकर वहीं से काम ले रही हैं।

कार्पोरेट कल्चर के साथ शहर को देंगे को-वर्क स्पेस

केसर टावर के डायरेक्टर देवेश गंगवाल ने बताया कि केसर टावर में बिल्कुल कार्पोरेट कल्चर का आफिस प्रेमाइसिस दिया जा रहा है। को-वर्क स्पेस भी उपलब्ध कराएंगे। कई कंपनियां इस संबंध में संपर्क कर रही हैं। आफिस में स्मोकिंग जोन, 24 घंटे का पावर बैकअप दिया जा रहा है। जिससे आइटी सेक्टर की कंपनियां रात में भी काम कर सकें। पहली बार ऐसा प्रेमाइसिस मिलेगा, जिसमें प्रोफेशनल्स के लिए फूड कोर्ट भी होगा। चार सेक्शन के लिए 4 लिफ्ट, चील्ड वाटर की सुविधा उपलब्ध रहेगी। बेहतर स्पीड के साथ इंटरनेट उपलब्ध रहेगा, जिससे काम करने में आसानी हो।

– बैंकिंग, आइटी, टेलीकाम, एजुकेशन, शिपिंग एंड लाजिस्टिक, बैंकिंग, इ-कामर्स, डिजिटल मार्केटिंग, पीआर, इंश्योरेंस सेक्टर से जुड़ी कंपनियां को-वर्क स्पेस कल्चर पर ज्यादा फोकस कर रही हैं।

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