ग्वालियर। शहर में 300 करोड़ की स्मार्ट रोड परियोजना फेल होने में प्लानिंग की खामियों के अलावा विभागों के आपसी समन्वय की कमी बड़ा कारण है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के विभाग बिजली कंपनी ने भी रोड़े अटकाए। इससे एक अच्छा प्रोजेक्ट छिन गया।
स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन ने थीम रोड सजाने-संवारने बिजली के तारों को सीमेंटेड डक्ट से बिछाया। राजपायगा रोड सहित अन्य जगहों पर फाइबर पाइपों के सहारे लाइन ले जाने की तैयारी की गई। यहां बिजली कंपनी के अधिकारियों ने आपत्ति लगा दी। सालभर इसी जद्दो-जहद के बाद भोपाल स्तर से आदेश आए कि डक्ट के साथ सड़क निर्माण कराया जाए। यहीं से यह योजना पटरी से उतरती चली गई और आखिरकार इस योजना की 14 सड़कों को डी-स्कोप कर दिया गया। ऐसे में सवाल खड़े हो रहे हैं, जिस समय स्मार्ट रोड परियोजना तैयार की गई थी, क्या उस समय बिजली कंपनी से समन्वय नहीं किया गया था। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों का कहना है उस समय बिजली कंपनी ने अनुमति दी थी, लेकिन बाद में डक्ट बनाने पर ही अड़ गए। इस नई मांग के चलते समस्या यह खड़ी हुई कि कई सड़कों पर डक्ट बनाने के लिए जगह नहीं है। इससे बिजली के तारों को अंडरग्राउंड करने का विकल्प खत्म हो गया और जिस विशेषता के लिए इन सड़कों को स्मार्ट बनाना था, उसकी संभावना ही खत्म हो गई।
फाल्ट सही करने में देरी बता लगाया अड़ंगा
बिजली कंपनी के अधिकारियों ने डक्ट को ही अनिवार्य बताया। उनका कहना था फाइबर पाइपों में फाल्ट ढूंढने और उसे सही करने में काफी समय लग जाएगा। दूसरी तरफ डक्ट में फाल्ट सही करने में देर नहीं लगेगी। इस मुद्दे को लेकर बिजली कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर गणेश शंकर मिश्रा ने भी ग्वालियर आकर ट्रायल देखा था। उस दौरान वे ग्वालियर में तो सहमति देकर गए, लेकिन भोपाल पहुंचकर फिर से तकनीकी कारण बताकर पेंच फंसा दिया गया। आखिर में नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव और आयुक्त के साथ हुई बैठक में डक्ट बनाने पर ही सहमति बनी और परियोजना की संभावनाएं खत्म होती चली गईं।
फाल्ट डिटेक्टर मशीन देने को तैयार
स्मार्ट सिटी कार्पोरेशन के अधिकारी लाइनों में होने वाले फाल्ट को ढूंढने के लिए बिजली कंपनी को फाल्ट डिटेक्टर मशीन देने को तैयार थे। हालांकि अब तो स्मार्ट रोड परियोजना सिमट गई है, लेकिन थीम रोड पर बनाई गई डक्ट के फाल्ट ढूंढने के लिए भी बिजली कंपनी ने फाल्ट डिटेक्टर मशीन की मांग की है। कार्पोरेशन ने इसे जैम पोर्टल से खरीदने के प्रयास किए, लेकिन उपलब्ध न होने से अब टेंडर के माध्यम से खरीद की तैयारी की जा रही है।
फाल्ट सही करने में बहुत समय लगता
तकनीकी रूप से डक्ट में फाल्ट सही करना आसान है। फाइबर पाइपों में फाल्ट ढूंढने और सही करने में बहुत समय लग जाता। इसके चलते हमने स्मार्ट रोड के किनारों पर डक्ट बनाने के लिए कहा था। जिस समय यह प्रोजेक्ट तैयार किया गया, उस समय बिजली कंपनी से कोई सहमति ली गई या नहीं, इसकी मुझे जानकारी नहीं है।
नितिन मांगलिक, महाप्रबंधक, सिटी सर्किल, मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी
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