भोपाल। मध्य प्रदेश में आइपीएस संवर्ग के कुल स्वीकृत पद 319 हैं, पर पदस्थ सिर्फ 238 हैं। इनमें भी लगभग 10 अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर हैं। पद रिक्त होने की वजह से काम भी प्रभावित हो रहा है। पुलिस मुख्यालय, लोकायुक्त, आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ आदि में एआइजी से एडीजी स्तर तक के पद रिक्त हैं।
हालांकि, पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि राज्य पुलिस सेवा से आइपीएस में पदोन्नति के लिए डीपीसी (डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी) की बैठक हो चुकी है। इसके 16 पद हैं। इनके अलावा कुछ अधिकारी अभी परिवीक्षा अवधि में प्रशिक्षण ले रहे हैं। इनके आने से संख्या बढ़ जाएगी।
दरअसल, जितनी संख्या में आइपीएस अधिकारी प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उतने पदों पर भर्ती केंद्र से नहीं हो रही है। इसके अलावा काडर रिव्यू होने पर भी आइपीएस के पांच से लेकर 20 प्रतिशत तक पद बढ़ जाते हैं। पिछले वर्ष काडर रिव्यू हुआ था। प्रति पांच वर्ष में रिव्यू करने का नियम है।
पुलिस मुख्यालय के अधिकारियों का कहना है कि प्रतिवर्ष सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों की जानकारी केंद्र सरकार को लगभग एक वर्ष पहले भेजी जाती है, जिससे भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा सके। इसके बाद भी आवश्यकता के अनुसार भर्ती नहीं होने से प्रदेश में आइपीएस अधिकारियों के अभी 81 पद रिक्त हैं।
हाल ही में हुई डीपीसी की बैठक के बाद राज्य पुलिस सेवा के 13 अधिकारी आइपीएस बन जाएंगे। बाकी तीन के लिफाफे अलग-अलग कारणों से अभी नहीं खोले जाएंगे। इनके और परिवीक्षा अवधि वाले अधिकारियों के आने के बाद भी 50 से अधिक पद रिक्त रह जाएंगे। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक सुधीर कुमार सक्सेना का कहना है कि लगभग हमेशा यही स्थिति रहती है। रिक्त पदों पर भर्ती केंद्र सरकार से होती है, इसलिए इसमें कुछ किया भी नहीं जा सकता।
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