उड़द-तुवर के बाद अब मसूर से भी तेजी उम्मीद मूंग-चना में मंदी के आसार

 इंदौर। सरकार लगातार दालों के दामों को नियंत्रित करने के लिए कोशिश कर रही है। एक के बाद एक नियम लागू किये जा रहे हैं। पहले स्टाक घोषित करने से लेकर अब 30 दिन में स्टाक की बिक्री का नियम भी लागू कर दिया गया है। बावजूद इसके तुवर और उड़द में मंदी नहीं आ रही। सोमवार से शुरू हुए नए कारोबारी सप्ताह में बाजार के जानकार कह रहे हैं दलहन के बाजार में अब भी मंदी जैसा सेंटीमेंट नहीं है। मूंग में जरुर नई फसल आने से दाम नरम है। अन्य दलहनों में तेजी या स्थिरता का ही दौर दिखेगा।

मसूर 150 / 200 रुपये की बढ़त संभव

मसूर का उत्पादन इस बार अधिक हुआ है, लेकिन कनाडा में ऊंचे भाव होने से बाजार ज्यादा नहीं घटने वाले हैं। पुराना स्टॉक भी इस बार बिल्कुल नहीं है। उधर मुंगावली, गंजबासौदा लाइन में इस बार आवक का दबाव समय से पहले ही घट गया है। कानपुर, गोंडा, बहराइच लाइन में भी मसूर में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता कम रही है। बिहार की मंडियों में भी पिछले 3 दिनों से आवक कम हो गई है।

उड़द- करेक्शन के बाद फिर बढ़ेगी

रंगून में उड़द के भाव बढ़ने से आयात पड़ता काफी महंगा हो गया है। भारतीय सभी मंडियों में सरकार की दहशत से स्टाक निकाल चुके हैं। कोई भी आयातक रंगून से स्टॉक के लिए माल नहीं मंगा रहा है। जो माल पहले के उतरे हुए थे, वह सब बिक चुके हैं। यही कारण‍ 9040/9050 रुपये प्रति क्विटल पर उड़द एसक्यू तेज बनी हुई है। उड़द एफएक्यू के भाव 8200 रुपये बोल रहे हैं। लेकिन इन भावों में भी ज्यादा मात्रा में माल बाजार में उपलब्ध नहीं है।

मूंग- आगे तेजी का व्यापार नहीं

वर्तमान में पाइप लाइन में माल नहीं होने से मूंग शॉर्टेज में बढ़िया क्वालिटी में चालू सप्ताह के अंतराल 200/300 रुपये प्रति क्विटल की तेजी जरूर आ गई है, लेकिन दाल की बिक्री अनुकूल नहीं है। प्रदेश में नई मूंग की आवक का प्रेशर है। प्रदेश सरकार के टेंडर के माल अगले दो-चार दिनों में प्रेशर में लगेंगे, इसलिए तेजी की उम्मीद नहीं है।

तुवर- तेजी कायम रहेगी

घरेलू तुवर की फसल का दिन प्रति दिन रकवा घटता जा रहा है तथा रंगून में इस बार ऊंचे भाव है, वहीं आयातक पहले ही सरकार की दहशत से माल कम मंगा रहे थे। यही कारण है कि बाजार में शॉर्टेज की स्थिति बनी हुई है। सरकारी कदमों के डर से दाल मिलों में सिर्फ जरुरतपूर्ति का स्टाक ही रखा जा रहा है। निकट भविष्य में कोई फसल आने वाली नहीं है।मध्यप्रदेश की माल कटनी की दाल मिलों ने मंदे भाव में खरीद लिया है। जिससे चारों तरफ शॉर्टज की स्थिति में बाजार आगे 9500 रुपये लेमन क्वालिटी के दाम जाने के आसार है।

देसी चना माल का प्रेशर नहीं

सरकार द्वारा देसी चने की खरीद प्रचूर मात्रा में की गई है, इसलिए कारोबारियों को यह दहशत है कि पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी मंदे भाव में सरकार खुले बाजार में बेचने लगेगी। इसी वजह से पहले के स्टाक पड़े माल मंदे में बिकने लगे हैं, लेकिन उत्पादक मंडियों में आवक का प्रेशर जिस तरह घट गया है, उसे देखते हुए बाजार धीरे-धीरे आगे बढ़ता ही रहेगा।

काबुली चना जड़ में मंदा नहीं

काबली चने की आवक उत्पादक मंडियों में घट गई है। दूसरी ओर बढ़िया माल की कमी बनी हुई है। हम मानते हैं कि दिल्ली- एनसीआर सहित उत्तर भारत की मंडियों में व्यापार कम जरूर चल रहा है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजारों में ऊंचे भाव होने से छिटपुट निर्यात चल रहा है। मंडियों आवक के प्रेशर कम होने और स्टाक हाथ में नहीं होने से जड़ में मंदा नहीं लग रहा है।

मटर माल कटने के बाद तेजी

मटर का स्टाक, वितरक व खपत वाली मंडियों में भारी मात्रा में हो चुका है। सरकार के रूख से लग रहा है इस बार भी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में से कोई माल आने नहीं है, क्योंकि आयात प्रतिबंध पिछले 3 वर्षों से चल रहा है, इन सब के बावजूद उत्पादन अधिक होने से माल का स्टॉक हर जगह बढ़ा हुआ है तथा सीजन के शुरुआत में ही कारोबारियों ने माल खरीद लिया है, वह कटने के बाद ही बाजार फिर बढ़ जाएगा। क्योंकि तुवर की कमी भी मटर के दामों को सपोर्ट करेगी।

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