इंदौर। 13 साल बाद कराई गई पांचवीं-आठवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा के परिणाम जारी हुए सप्ताहभर बीत गए हैं, लेकिन मेधावी छात्र-छात्राओं की प्रावीण्य सूची जारी नहीं की गई है। इसका कारण यह है कि परिणाम से जुड़े साफ्टवेयर में विद्यार्थियों के कई विषयों के अंक अपलोड नहीं हुए हैं। ये विषय हिंदी, संस्कृत, विज्ञान हैं। यह गड़बड़ी जिलों में बनाए गए मूल्यांकन केंद्रों से हुई है।
अंक नहीं चढ़ने से विद्यार्थियों को विभिन्न विषयों में शून्य अंक मिले हैं। सूत्रों के अनुसार भोपाल में जिन स्कूलों की कापियों का मूल्यांकन हुआ है, परिणाम में गड़बड़ियां भी उन्हीं स्कूलों में सामने आई हैं। दूसरा कारण विद्यार्थियों को कम अंक इसलिए भी मिले हैं, क्योंकि कोरोनाकाल में तीन साल पहले छोटी कक्षाओं की परीक्षा नहीं हुई थी।
विद्यार्थी प्रोन्नत होकर अगली कक्षाओं में पहुंचे थे। इसका असर परीक्षा परिणाम पर देखने को मिला है। कई स्कूलों की शिकायत यह है कि उनके यहां पढ़ने वाले विद्यार्थी हिंदी, अंग्रेजी या विज्ञान में से किसी एक विषय में ही अनुत्तीर्ण हुए हैं।
265 स्कूलों का पांचवीं व आठवीं का परीक्षा परिणाम शून्य
प्रदेश के 265 स्कूलों का पांचवीं व आठवीं का परीक्षा परिणाम शून्य आया है। इसमें इंदौर के 109 और उज्जैन के 52 स्कूलों का आठवीं का रिजल्ट शून्य है। इन स्कूलों के सभी 449 विद्यार्थी फेल हो गए हैं। वहीं नर्मदापुरम जिले में 10 से अधिक स्कूलों का रिजल्ट जीरो आया है
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