देश के उज्जवल भविष्य के लिए महिलाओं का राजनीति में आना जरूरी -देशमुख

इंदौर। यदि संविधान में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण नहीं किया गया होता तो क्या उस वर्ग को उतना प्रतिनिधित्व मिल पाता जितना कि वर्तमान में मिल रहा है। पिछले 10 वर्षों में महिलाएं चुनाव के मतदान में पुरुषों के बराबरी पर आ गई हैं और मेरा भरोसा है कि 2024 के चुनाव में वे पुरुषों से ज्यादा मतदान करेंगी।

यह बात चुनाव विश्लेषक यशवंत देशमुख ने मंगलवार शाम इंदौर में कही। उन्होंने कहा कि जब महिलाओं की प्रत्यक्ष भागीदारी ज्यादा है तो उन्हें बराबरी से चुनाव में प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया जाना चाहिए। टीवी पर बहस में हम 90 प्रतिशत समय जातिगत समीकरण और धर्म के ध्रुवीकरण को देते हैं। महिलाओं के मतदान के मुद्दे अलग होते हैं। महिलाएं हमेशा उन्हें मिलने वाली सहायता, जीविका, सुरक्षा, रोजगार, बच्चों की शिक्षा और स्वास्थ्य के मुद्दे पर मतदान करती हैं।

समझदार मतदाता हैं महिलाएं

जाल सभागृह में अभ्यास मंडल की 62वीं ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला के दौरान देशमुख ने महिला आरक्षण और चुनौतियां विषय पर संबोधित किया। उन्होंने कहा कि हाल ही में हुए कर्नाटक और उत्तर प्रदेश के चुनाव में भी यही स्थिति नजर आई है। उत्तर प्रदेश में महिलाओं ने बुलडोजर बाबा को वोट नहीं दिया। उन्होंने राशन और शौचालय को वोट दिया। महिलाओं के मतदान के मुद्दों को देखकर हम यह समझ सकते हैं कि समझदार मतदाता कौन है।

श्रेष्ठ दस देशों की विधायिका में महिलाएं ज्यादा

वर्तमान में हमारे देश में किसी भी पार्टी का एक भी नेता अपने वार्ड का चुनाव भी अपने दम पर नहीं जीत सकता है। भाजपा पंचायत से लेकर लोकसभा तक मोदी के चेहरे को सामने रखकर जीत रही है, तो फिर महिलाएं क्यों नहीं जीत सकती है। महिलाओं के राजनीति में आने से ही देश का भविष्य उज्जवल है। इस समय विश्व में सबसे खुशहाल और सबसे बेहतर रहने लायक देशों की सूची में जो श्रेष्ठ दस देश हैं, वहां विधायिका में महिलाएं ज्यादा हैं। इस दौरान अतिथियों का स्वागत मंजू व्यास, संजय गोदारा और कीर्ति राणा ने किया। कार्यक्रम का संचालन वैशाली खरे ने किया। अतिथि को स्मृति चिह्न पद्मश्री भालू मोंढ़े ने दिया। आभार अशोक जायसवाल ने माना।

Mp

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