भारत में कोरोना (covid-19) के मामले एक बार फिर तेजी से बढ़ रहे हैं. जनवरी 2022 में तीसरी लहर के बाद इस वक्त कोविड मामलों की सबसे तेज रफ्तार देखी जा रही है. हालांकि एक्सपर्ट्स ने कहा कि वायरस में मौजूदा उछाल हल्का है, मगर फिर भी यह चिंता की बात है.
केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, भारत में सोमवार को कोरोना वायरस के 3,641 मामले आए. शनिवार को 3,824 नए मामले आए, जो लगभग 184 दिनों के दौरान एक दिन में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी है. पिछले हफ्ते देश में 18,450 नए मामलों के साथ बढ़ोतरी देखी गई थी, जो पिछले सप्ताह के 8,781 मामलों से काफी ज्यादा थी.
इस वेरिएंट ने बढ़ाई टेंशन
कोरोना के ओमिक्रॉन वेरिएंट के बीबी.1.16 को मामलों में अचानक बढ़ोतरी का सबसे बड़ा कारण माना जा रहा है. मेदांता के इंटरनल मेडिसिन, इंस्टिट्यूट ऑफ रेस्पिरेटरी एंड स्लीप मेडिसिन के चीफ और डायरेक्टर ऑफ मेडिकल एजुकेशन डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बताया, “अन्य फैक्टर्स के साथ नया वेरिएंट, जिसमें कोविड के मुताबिक व्यवहार में कमी और मौसम में बदलाव शामिल है – हमें सांस की स्थितियों को लेकर ज्यादा संवेदनशील बनाता है. एक हल्की लहर आ सकती है, लेकिन यह कमजोर है, गंभीर नहीं और इस स्थिति में संक्रमित लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं है.’
फरीदाबाद के अमृता अस्पताल में संक्रामक रोग विभाग के सलाहकार डॉ. रोहित कुमार गर्ग ने कहा, ‘हर नए वेरिएंट की शुरुआत के साथ मामलों की संख्या में थोड़ा इजाफा हो सकता है. हालांकि हम एक और लहर की उम्मीद नहीं करते, हमें सावधान और सतर्क रहने की जरूरत है.”
क्या बोला WHO
वहीं वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) में कोविड प्रतिक्रिया के लिए तकनीकी प्रमुख डॉ. मारिया वान केरखोव ने हाल ही में कहा था कि 22 देशों के ओमिक्रॉन वेरिएंट एक्सबीबी.1.16 के लगभग 800 सीक्वेंस हैं. अधिकांश सीक्वेंस भारत से हैं और भारत में बीबी.1.16 ने ट्रेंड में आने वाले अन्य वेरिएंट को बदल दिया है. वान केरखोव ने कहा कि बीबी.1.16 की प्रोफाइल बीबी.1.5 के समान है, लेकिन स्पाइक प्रोटीन में अतिरिक्त बदलाव देखा जा रहा है. उन्होंने कहा कि लैब स्टडी में बीबी.1.16 ने बढ़ी हुई इन्फेक्टिविटी के साथ-साथ संभावित रूप से बढ़ी हुई पैथोजेनिसिटी की तरफ इशारा किया है.
एक्सपर्ट्स ने दी ये सलाह
गर्ग ने कहा, “बीबी.1.16 ओमिक्रॉन वेरिएंट की एक सबलाइन है. जीनोमिक सीक्वेंस डेटा इशारा करता है कि बीबी.1.16 में कुछ अन्य स्पाइक म्यूटेशन हैं. जैसा कि बताया गया है, यह नया वेरिएंट ट्रांसमिशन के मोड, संक्रमण के रास्ते और क्लिनिकल के संबंध में अन्य वेरिएंट के जैसा है. अब तक मौजूद आंकड़ों में मरीजों में इस बीमारी की हल्की प्रकृति ही हैं.” हालांकि, स्थिति चिंता का कारण है. गुलेरिया ने कहा कि बीबी.1.16 अधिक तेजी से फैलता है, लेकिन मौजूदा डेटा यह नहीं बताता है कि यह ज्यादा विषैला है और ज्यादा गंभीर इन्फेक्शन फैलाता है.
‘यह वायरस रहने वाला है’
गर्ग ने कहा कि अब तक महामारी के विकास और इस वायरस की म्यूटेटेड नेचर के साथ यह कहना तर्कसंगत लगता है कि वायरस रहने वाला है. जबकि बीबी.1.16 पर बाकी म्यूटेशनों ने इसकी कम्युनेबिलिटी पर असर डाला है. इसके अलावा, इस वायरस की बदलने वाली शख्सियत को देखते हुए हम भविष्य में भी इसके छोटे संकटों की उम्मीद कर सकते हैं. गर्ग ने कहा, “हर किसी को तीसरी खुराक लेनी चाहिए, खासतौर से गंभीर बीमारियों के ज्यादा जोखिम वाले रोगियों को. उपलब्ध टीके सुरक्षित हैं और हमें गंभीर बीमारी से बचाते हैं.” गर्ग ने कहा, “मेरी राय में, सभी सिम्टोमैटिक (रेस्पिरेटरी सिस्टम के इन्फेक्शन) मरीजों, गंभीर बीमारी के जोखिम वाले लोगों और उनके करीबी संपर्कों, विशेष रूप से भीड़ वाली बंद जगहों पर मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए.”
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