काशी में धधकती चिंताओं के बीच रातभर मना जश्न, जानिए, क्या है कारण

वाराणसी| वाराणसी में सुध-बुध खोकर नृत्यांजलि प्रस्तुत करतीं नगर वधुओं से महाश्मशान पूरी रात जीवंत रहा। नगर बंधुओं ने बॉलीवुड व भोजपुरी गीतों पर नृत्य पेश किया।

मणिकर्णिका घाट पर मंगलवार की रात धधकती चिताओं के बीच घुंघरू की झंकार गूंजती रही। राग-विराग के इस मेले में नगर वधुओं ने बाबा महाश्मशाननाथ को नृत्यांजलि अर्पित कीं। नवरात्र की सप्तमी पर महाश्मशाननाथ के वार्षिक शृंगार महोत्सव की अंतिम निशा में बाबा का शृंगार हुआ।

संध्या पूजन के बाद मंदिर में लोगों ने दर्शन किए। वहीं नगर वधुओं ने नृत्य पेश कर बाबा से अगले जन्म में इस जीवन से मुक्ति की गुहार लगाई। घाट के चारों तरफ चिताएं धधक रही थीं। शवयात्रा में आए लोग राग-विराग में डूबे थे। इस उत्सवी रंग में हजारों रंगे दिखे।

यहां साढ़े तीन सौ साल से अधिक समय से चली आ रही नगर वधुओं की नृत्य की परंपरा का निर्वहन हुआ। सुध-बुध खोकर नृत्यांजलि प्रस्तुत करतीं नगर वधुओं से महाश्मशान पूरी रात जीवंत रहा। नगर बंधुओं ने बॉलीवुड व भोजपुरी गीतों पर नृत्य पेश किया। इस मौके पर संयोजन महाश्मशान सेवा समिति के अध्यक्ष चैनु प्रसाद गुप्ता, व्यवस्थापक गुलशन कपूर, संजय गुप्ता, बिहारीलाल, राजू साव, अजय उर्फ अज्जू, नीरज गुप्ता आदि ने रहे।

 

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