दुनियाभर में टी20 क्रिकेट का बोलबाला है। टी20 फ्रेंचाइजी क्रिकेट भी अपनी चमक बिखेरने में कामयाब हो रही है। इस बीच 50 ओवर प्रारूप अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। क्रिकेट में इतना व्यस्त कार्यक्रम हो चुका है कि अब खिलाड़ी एक प्रारूप चुनने लगे हैं।
महान बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर ने शुक्रवार को वनडे क्रिकेट से खत्म होती दिलचस्पी पर जोर दिया और कहा कि निश्चित ही प्रारूप बोरिंग हो रहा है और गेंदबाजों पर हावी हो रहा है। तेंदुलकर ने कहा, ‘इसमें कोई शक नहीं कि यह बोरिंग हो रहा है। मौजूदा प्रारूप में प्रति पारी दो नई गेंद का उपयोग होता है। जब आप दो नई गेंद का उपयोग कर रहे हैं तो एक तरह से रिवर्स स्विंग को खत्म कर रहे हैं।’
उन्होंने आगे कहा, ‘भले ही हम मैच के 40वें ओवर में हो, लेकिन गेंद तो 20 ओवर पुरानी ही हुई है। गेंद 30 ओवर के बाद तो रिवर्स स्विंग होना शुरू होती है। नई गेंदों के कारण यह चीज खत्म हो रही है। मेरा मानना है कि मौजूदा प्रारूप गेंदबाजों पर हावी है। अब तो मैच काफी अनुमान वाला हो चुका है। 15वें से 40वें ओवर तक यह अपनी लय खो रहा है। यह बोरिंग हो चला है।’
इस फॉर्मूले को अपना सकते हैं
सचिन तेंदुलकर का विचार है कि 50 ओवर प्रारूप को जिंदा रखने में कोई नुकसान नहीं है। टीमों को प्रत्येक 25 ओवर के बाद बल्लेबाजी और गेंदबाजी में बदलाव करना चाहिए। इससे विरोधी टीम को बराबरी का मौका मिलेगा। टॉस, ओस और अन्य स्थितियों को इससे हटाना पड़ेगा।
मास्टर ब्लास्टर ने कहा, ‘तो दोनों टीमों को पहले और दूसरे हाफ में गेंदबाजी करनी चाहिए। वैसे, भी इसका फायदा मिलेगा क्योंकि दो के बजाय तीन ब्रेक होंगे।’
टेस्ट क्रिकेट के लिए सचिन तेंदुलकर की राय
बता दें कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के तीन टेस्ट तीन दिन के अंदर खत्म हुए। इस दौरान पिचों की काफी आलोचना हुई, लेकिन तेंदुलकर ने कहा कि यह क्रिकेटर्स की जिम्मेदारी है कि उन्हें विभिन्न पिचों पर खेलना है। महान बल्लेबाज ने साथ ही अपील की है कि टेस्ट क्रिकेट के आकर्षण को बरकरार रखने के लिए किसी को यह नहीं देखना चाहिए कि कितने दिन में मैच खत्म हो रहा है, लेकिन ध्यान हो कि ज्यादा लोग इसे कैसे देखें।
सचिन तेंदुलकर ने स्पोर्ट्स तक पर बातचीत करते हुए कहा, ‘हमें एक बात समझनी होगी कि टेस्ट क्रिकेट दिलचस्प हो और ऐसा नहीं कि ये कितने दिनों में खत्म हो या पांच दिन में ही नतीजा निकले। क्रिकेटर्स को विभिन्न परिस्थितियों और पिचों पर खेलना होता है।’
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.