डिंडौरी । मां नर्मदा के उद्गम स्थल अमरकंटक तीर्थक्षेत्र में 170 फीट ऊंचे मंदिर का निर्माण कर विश्व की सबसे वजनी भगवान आदिनाथ जी की प्रतिमा स्थापित कराई गई है। जैन समाज ने 20 वर्ष में भव्य मंदिर तैयार कराया है। यह जैन मंदिर ओडिशी स्थापत्य कला का बिंब होगा। भूकंपरोधी होने के साथ-साथ इस मंदिर में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया है। मंदिर का शुभारंभ कराने के लिए 25 मार्च से दो अप्रैल तक पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव होगा। इस बड़े आयोजन में शामिल होने देश-विदेश से जैन समाज के लोग अमरकंटक पहुंचेंगे।
मंदिर की यह हैं विशेषताएं
-मंदिर की आधारशिला 6 नवंबर 2003 को तत्कालीन उपराष्ट्रपति भैरोंसिंह शेखावत ने आचार्य श्री विद्यासागर के साथ रखी थी।
-समुद्र सतह से लगभग 3500 फीट की ऊंचाई पर मैकल पर्वतमाला के शिखर अमरकंटक में मंदिर का निर्माण हुआ है।
-मंदिर निर्माण में सीमेंट का उपयोग नहीं किया गया। पत्थरों को तराशकर गुड़ के मिश्रण से तराशे गए पत्थरों को चिपकाया गया है। दीवारों, मंडप व स्तंभों में आकर्षक मूर्तियां बनाई गई हैं।
-अष्टधातु से ढली आदि तीर्थंकर भगवान आदिनाथ की प्रतिमा विश्व में सबसे वजनी 24 टन की है, जो अष्टधातु के 28 टन वजनी कमल पर विराजमान है। प्रतिमा और कमल का कुल वजन 52 टन है।
-1994 में उत्तर प्रदेश के उन्नाव में इस मूर्ति को ढाला गया था।
-राजस्थान के बंसी पहाड़ के गुलाबी पत्थरों से ओडिशी शैली में मंदिर बनाया गया है। भूकंप के प्रभाव से यह मंदिर पूर्णत: सुरक्षित है।
25 से पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव
जिनालय में स्थापित भगवान आदिनाथ की प्रतिमा का पंचकल्याणक गजरथ महोत्सव 25 मार्च से आचार्य श्री विद्यासागर महाराज के ससंघ सान्निध्य में होगा। 20 मार्च से पहले आचार्यश्री अमरकंटक पहुंच जाएंगे।
इनका कहना है
जैन समाज ने इस तीर्थ क्षेत्र के निर्माण में तन-मन-धन से सहयोग किया है। यह मंदिर 170 फीट ऊंचा है। भगवान आदिनाथ जी की विश्व में सबसे वजनी प्रतिमा इसी मंदिर में विराजमान की गई है। गजरथ महोत्सव में देश-विदेश से जैन समाज के लोग शामिल होने पहुंचेंगे।
-डा. सुनील जैन, संरक्षक सदस्य, तीर्थ क्षेत्र अमरकंटक।
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