महंगाई की वजह से बाजार में गेहूं, आटा और मैदा की कमी देखने को मिल रही है। इस वजह से गेहूं से उत्पाद बनाने वाले लघु और मध्यम उद्योग कंपनियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
गेहूं और आटे की कीमतों में उछाल ने एक बार फिर से आम जनता की कमर तोड़ दी है। महंगाई का आलम यह है कि महज दो हफ्ते के अंदर ही गेहूं के भाव में एक बार फिर से इजाफा हुआ है। इससे गरीब लोगों की थाली से रोटी गायब हो गई है। उधर मौसम के मिजाज ने किसानों की धुकधुकी बढ़ा दी है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिन में बारिश होने की संभावना व्यक्त की है। ऐसे में अगर बारिश हुई तो गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचेगा।
आटे की कीमत बढ़ने से चक्कियों पर संकट के बादल
महंगाई की वजह से बाजार में गेहूं, आटा और मैदा की कमी देखने को मिल रही है। इस वजह से गेहूं से उत्पाद बनाने वाले लघु और मध्यम उद्योग कंपनियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गेहूं एवं आटे की कीमतों में उछाल की वजह से कई छोटी आटा चक्कियों पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। पिछले दिनों तक आटा 28 से 30 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। होली से पहले आटे की कीमतों में दो रुपये किलो तक की वृद्धि हुई है। यानि 10 किलोग्राम के बैग पर 20 रुपये तक की बढ़ोत्तरी हुई है।
खाने-पीने की चीजें भी होंगी महंगी
भले ही सरकार ने इस बार गेहूं का समर्थन मूल्य 2015 में 110 रुपये की बढ़ोत्तरी करते हुए उसे 2125 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है, लेकिन बाजार में गेहूं की कीमत 3000 रुपये प्रति क्विंटल के पार पहुंच गई है। गेहूं महंगा होते ही आटे की कीमत में भी एक बार फिर से तेजी देखने को मिल रही है। किसानों का कहना है कि अभी गेहूं की नई फसल आने में तकरीबन डेढ़ से दो महीने का वक्त लगेगा। ऐसे में गेहूं के भाव में और इजाफा हो सकता है, जिससे महंगाई बढ़ जाएगी और खाने-पीने की चीजें महंगी हो जाएंगी। गेहूं जारी होने में देरी की वजह से इस तरह की समस्या बढ़ रही है. वहीं, अतिरिक्त गेहूं बाजार में आने के बाद बढ़ती कीमतों से राहत मिल सकती है.
गेहूं का घटा, सरसों का बढ़ गया रकबा
जिला कृषि अधिकारी अभिनंदन सिंह ने बताया कि जिले में सार दर साल सरसों की फसल का रकबा बढ़ रहा है, जबकि गेहूं की खेती में लागत अधिक होने एवं उसका बाजार मूल्य कम मिलने से किसानों का मोह भंग हो रहा है। इस साल सरसों का लक्ष्य 32619 हेक्टेयर रखा गया था जिसके सापेक्ष किसानों ने 37825 हेक्टेयर सरसों की फसल बो रखी है।
बोले किसान
गेहूं की फसल उगाने में खर्चा काफी आ रहा है, इसके बाद भी सरकारी रेट 2125 रुपये प्रति क्विंटल है। जबकि सरसों की फसल में कम लागत है और बाजार मूल्य कहीं अधिक है। ऊपर से मौसम का खतरा बन रहा है। बारिश हुई तो गेहूं की फसल को काफी नुकसान होगा।- धर्मेंद्र सिंह, किसान, बलवंत नगलिया
मौसम में बदलाव के चलते इस बार वैसे ही गेहूं का दाना कमजोर है, ऊपर से मौसम भी आंखे दिखा रहा है। अगर बारिश हुई तो गेहूं की खड़ी फसल गिर जाएगी जिससे 15 से 20 फीसद तक फसल को नुकसान होगा। – बीरन सिंह, किसान, गभाना
जिले में गेहूं की फसल की स्थिति
वर्ष रकवा (हेक्टेयर में) उत्पादन (मीट्रिक टन में )
2017-18 223557 961.29
2018-19 227340 978398
2019-20 223574 934986
2021-22 224788 976046
2022-23 222423 217835
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