मेरठ में पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी पर गैंगस्टर 14 (ए) के तहत करोड़ों रुपये की संपत्ति को जब्त करने की कार्रवाई अटक गई है। एसएसपी रोहित सिंह सजवाण का कहना है कि अलफहीम मीटेक्स कंपनी में याकूब सहित उनके कई रिश्तेदार साझेदार हैं, जो गैंगस्टर के मुकदमे में नामजद नहीं हैं। इसलिए संपत्ति के हिस्सों के बारे में पता किया जा रहा है।
पुलिस की जांच में सामने आया कि याकूब की सील पड़ी फैक्टरी को बैंक ने बिना जांच के ही नौ करोड़ रुपये का ऋण दिया है। बैंक अधिकारियों से भी पुलिस ने जवाब मांगा है।
एसपी सिटी पीयूष सिंह के मुताबिक, 2019 में याकूब कुरैशी की फैक्टरी पर मेरठ विकास प्राधिकरण ने सील लगा दी थी। इसके बावजूद बैंक ने 2021-22 में याकूब कुरैशी की अलफहीम मीटेक्स कंपनी को 20 करोड़ रुपये का ऋण पास कर दिया था। इसमें नौ करोड़ रुपये बैंक से लिए जा चुके हैं। इसकी जानकारी पर पुलिस ने जांच की। इसमें बैंक की भूमिका पर सवाल उठे।
बृहस्पतिवार को एसपी सिटी ने अपने कार्यालय में बैंक के अधिकारियों को बुलाकर इस बारे में जानकारी मांगी। पूछा गया कि सील पड़ी फैक्टरी पर कैसे ऋण पास हो गया। बैंक के अधिकारियों ने तीन दिन में जवाब देने समय मांगा है। वहीं, कोर्ट के आदेश से याकूब की फैक्टरी में रखा 58 फीसदी मीट रिलीज किया गया है, जबकि 42 फीसदी मीट को नष्ट करने के आदेश दिए गए हैं। बताया गया कि याकूब और उसके दोनों बेटे अभी जेल में बंद हैं।
साझेदारी में फंसी कार्रवाई
31 मार्च 2022 को याकूब की फैक्टरी में अवैध तरीके से मीट पैकिंग का भंडाफोड़ करके पुलिस ने याकूब, उनकी पत्नी संजीदा बेगम व दोनों बेटे इमरान, फिरोज सहित 17 लोग नामजद हुए थे। इसके बाद गैंगस्टर में याकूब परिवार नामजद हुआ। पुलिस ने याकूब की करोड़ों की संपत्ति जब्त करने के लिए चिह्नित की। स्कूल, हॉस्पिटल, 33 गाड़ी, दो मकान, देहात में भूमि और कई प्लाट की जानकारी पुलिस ने प्राधिकरण, जिला पंचायत, नगर निगम सहित अन्य विभागों से जुटा ली थी।
वहीं गैंगस्टर के तहत जब्तीकरण की कार्रवाई से पहले विधिक राय ली गई। इसमें पता चला कि याकूब की फैक्टरी और भूमि पर कई साझेदार हैं। इसके चलते कार्रवाई अटक गई है। अब पुलिस याकूब की संपत्ति का हिस्सा अलग से निकालने में जुटी है।
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