नई दिल्ली । जी-20 के विदेश मंत्रियों की दिल्ली में हुई बैठक कई मायनों में ऐतिहासिक रही। भले ही बैठक के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं हुआ हो, लेकिन भारत के महत्व को दुनिया ने स्वीकार किया। बैठक से इतर रूस और अमेरिका के विदेश मंत्रियों की बैठक भी हुई। यह बैठक अपने आप में इसलिए महत्व रखती है, क्योंकि यूक्रेन में पिछले साल फरवरी में जंग शुरू होने बाद दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच यह पहली आमने-सामने की मुलाकात थी। बताया जा रहा है कि यह बैठक विदेश मंत्री एस. जयशंकर से हो सकी। अब तक रूस और अमेरिका एक-दूसरे से बातचीत से कतरा रहे थे इसलिए यदि जयशंकर की पहल पर बैठक हुई है, तब यह भारतीय कूटनीति की बड़ी कामयाबी है। वहीं चीनी विदेश मंत्री से भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भी गंभीर मुद्दों पर बातचीत की।
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रुसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के बीच दिल्ली में हुई संक्षिप्त मुलाकात की। दिल्ली में जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर दोनों नेताओं के बीच लगभग 10 मिनट तक बातचीत हुई और ब्लिंकन ने लावरोव को बताया कि अमेरिका यूक्रेन का समर्थन करना जारी रखेगा। अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि उनकी रूसी विदेश मंत्री के साथ संक्षिप्त बातचीत हुई और उन्होंने उनसे ‘न्यू स्टार्ट’ संधि को लेकर अपने देश के फैसले को बदलने और इसका पालन करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा, मैंने रूसी विदेश मंत्री से कहा कि दुनिया में और हमारे संबंधों में चाहे जो कुछ भी हो रहा हो, लेकिन अमेरिका सामरिक हथियारों के नियंत्रण में शामिल होने और कार्रवाई करने के लिए हमेशा तैयार रहेगा, जैसा कि अमेरिका और सोवियत संघ ने शीतयुद्ध के चरम पर किया था।
बता दें कि पिछले माह रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अमेरिका के साथ ‘न्यू स्टार्ट परमाणु हथियार संधि को निलंबित करने के अपने फैसले की घोषणा की थी। यह संधि दोनों देशों के लिए परमाणु शस्त्रागार की सीमा तय करती है। उधर, इस मुलाकात के बारे में रूसी प्रवक्ता मारिया जखारोवा ने कहा, अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकन ने जी-20 बैठक के दूसरे सत्र के दौरान विदेश मंत्री लावरोव से मिलने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं की मुलाकात हुई, लेकिन कोई बैठक या वार्ता नहीं हुई।
बता दें कि जयशंकर ने चीनी विदेश मंत्री किन गांग के साथ हुई बैठक में कहा कि भारत-चीन के बीच संबंध ‘‘असामान्य’’ हैं। बैठक में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय संबंधों की चुनौतियों, खास तौर से सीमावर्ती क्षेत्र में शांति और स्थिरता से जुड़ी चुनौतियों से निपटने पर चर्चा हुई। बता दें कि जी-20 के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर जयशंकर और किन की यह पहली मुलाकात है। जयशंकर ने कहा, ‘‘उनके विदेश मंत्री बनने के बाद यह हमारी पहली मुलाकात है। हमने एक-दूसरे से करीब 45 मिनट चर्चा की और मोटे तौर पर यह चर्चा हमारे संबंधों की वर्तमान स्थिति के बारे में थी, जिसके बारे में आपमें से ज्यादातर लोगों ने सुना होगा कि वह (संबंध) असामान्य है। उन्होंने कहा, ‘‘और बैठक में मैंने जिन विशेषणों का उपयोग किया उनमें यह (असामान्य) भी था। उन्होंने कहा कि संबंधों में कुछ वास्तविक समस्याएं हैं जिन पर ध्यान देने, जिन पर खुल कर और दिल से बात करने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने कहा कि बैठक में सामान्य तौर पर द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा हुई। बैठक के बारे में जयशंकर ने ट्वीट किया, जी-20 के विदेश मंत्रियों की बैठक से इतर चीन के विदेश मंत्री किन गांग से मुलाकात की। हमारी बातचीत में द्विपक्षीय संबंधों, विशेष रूप से सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति के लिए मौजूदा चुनौतियों पर ध्यान देने पर जोर दिया गया।
Comments are closed, but trackbacks and pingbacks are open.