आम चुनाव 2023 के लिए पार्टी की परंपरागत चयन प्रक्रिया से तय होंगे टिकट
भोपाल । प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा ने 7 महीने बाद होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए टिकट चयन पर काम शुरू कर दिया है। पार्टी ने यह काम आकांक्षी विधानसभा (कांग्रेस के कब्जे वाली)सीटों से शुरू किया है। इनमें वे सीट भी शामिल हैं, जहां उपचुनावों में तो भाजपा जीती, लेकिन 2018 में हारी थीं। संगठन ने आकांक्षी सीटों पर एक महीने तक गांव-गांव घूमकर जमीनी नब्ज टटोली है।
ऐसे में तय है कि आम चुनाव में किसी नेता का समर्थक होने मात्र से किसी को टिकट नहीं मिलेगा, बल्कि भाजपा की टिकट चयन की परंपरागत प्रक्रिया से ही प्रत्याशी तय होंगे। ऐसे में 2020 में कांग्रेस से भाजपा में आने वाले 26 विधायकों में से आधे से ज्यादा दलबदलुओंÓ को फिर से टिकट मिलने पर संशय की स्थिति बन गई है। भाजपा ने कांग्रेस से आने वाले सभी नेताओं को उपचुनाव लड़ाया। जो उपचुनाव हारे, उन्हें निगम-मंडलों में मंत्री पद से नवाजा। चूंकि भाजपा ने 2023 में चुनाव जीतने के लिए नई रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। जिसके तहत कई नए चेहरों को मौका मिलेगा। इसके लिए कई दिग्गजों के टिकट कटेंगे। इनमें कांग्रेस से आने वाले दलबदलूÓ भी शामिल हैं।
निगम-मंडल वालों को टिकट की संभावना बेहद कम
कांग्रेस से आए उपचुनाव हारने वाले 8 नेता एदल सिंह कंषाना, रघुराज कंषाना, गिर्राज दंडोतिया, रणवीर जाटव, मुन्नालाल गोयल, इमरती देवी, जसमंत जाटव और राहुल लोधी को निगम मंडलों मंंत्री का दर्जा दिया है। इनमें ज्यादातर को टिकट मिलने की संभावना नहीं है। हालांकि ये सभी नेता अपनी-अपनी सीटों पर दावेदार रहेंगे। टिकट चयन की प्रक्रिया में इनके नामों पर विचार होगा, मिलेगा यह तय नहीं है। इसी तरह अंबाह विधायक कमलेश जाटव, मेहगांव से ओपीएस भदौरिया (मंत्री), ग्वालियर पूर्व मुन्नालाल गोयल, सुरेश धाकड़ (मंत्री)पोहरी , जसपाल जज्जी अशोकनगर, बिसाहू लाल सिंह (मंत्री)अनुपपुर , मनोज चौधरी हाटपिपल्या, नारायण पटेल मांधाता, राजवर्धन दत्तीगांव (मंत्री) बदनावर के टिकट पर कैंची चल सकती है। जसपाल की विधायकी जाति मामले में कोर्ट स्टे पर हैं। सुरेश धाकड़ सिर्फ जातिगत समीकरणों से रिपीट हो सकते हैं। वहीं दत्तीगांव पिछले दिनों अलग-अलग वजह से विवादों में आ चुके है। टिकट चयन के दौरान भाजपा संगठन में इस तरह के मुद्दों पर गहन मंथन होता है।
चुनाव से पहले इनकी बढ़ेगी पूछ-परख
कांगे्रसियों के आने से भाजपा के दिग्गज नेताओं को अपना चुनाव क्षेत्र छोडऩा पड़ा और हासिए पर चले गए। इनमें से कुछ नेताओं को सरकार में मंत्री पद का दर्जा मिल चुका है। जबकि कुछ घर बैठे हैं कुछ पार्टी छोड़ गए है। अब पार्टी चुनाव से पहले इन नेताओं के घर पहुंचेगी और उनकी पूछपरख बढ़ेगी। इनमें रुस्तम सिंह मुरैना, शिवमंडल सिंह तोमर दिमनी, राकेश शुक्ला मेहगांव, लाल सिंह आर्य गोहद, जयभान सिंह पवैया ग्वालियर, लड्डूराम कोरी अशोकनगर, ललिता यादव मलेहरा, रामलाल रौतेल अनूपपुर, दीपक जोशी हाटपिपल्या, नरेन्द्र सिंह तोमर मांधाता, भंवर सिंह शेखावत बदनावर और जयंत मलैया दमोह शामिल हैं। इनमें से ललिता यादव (सीट बदलेगी), रामलाल और लालसिंह को टिकट मिल सकता है। जोशी को भी मौका मिल सकता है। दमोह का टिकट जयंत मलैया की सहमति से तय होगा। निगम मंडल में नियुक्ति के बाद भी नेपानगर से मंजू दादू, करैरा से रमेश खटीक को फिर टिकट मिल सकता है। 2018 में प्रत्याशी रहे सांची से मुदित शेजवार, सावन सोनकर संावेर, सुधीर यादव सुरखी, राजकुमार खटीक करैरा, केपी सिंह मुंगावली, राधेश्याम पाटीदार सुवासरा टिकट की दौड़ से बाहर रहेंगे। केपी यादव गुना सांसद हो चुके हैं। उपचुनाव के दौरान शेजवार का विरोध सामने आ चुका है।
इनको कोई खतरा नहीं
कांग्रेस से आने वालों में प्रद्युम्न सिंह तोमर (मंत्री) ग्वालियर, रक्षा संतराम भांडेर, महेन्द्र सिंह सिसौदिया (मंत्री) बमौरी, बृजेन्द्र यादव (मंत्री) मुंगावली, गोविंद राजपूत (मंत्री) सुरखी, प्रभुराम चौधरी (मंत्री) सांची, तुलसीराम सिलावट (मंत्री) सांवेर और हरदीप सिंह डंग (मंत्री) सुवासरा को कोई खतरा नहीं है। संगठन सूत्रों के अनुसार निकट भविष्य में संभावित शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में इनमें से कुछ बाहर होते हैं फिर भी ये टिकट के प्रवल दावेदार रहेंगे।
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